खरगोन

भाजपा से नंदा या सरदार, झूमा के सामने कौन है असरदार…

भीकनगांव पहुंचे भुसावल विधायक सावकारे

 

अनोखा तीर, भीकनगांव। आदिवासी क्षेत्र भीकनगांव विधानसभा में भाजपा पिछले दो विधानसभा का सुखा खत्म करना चाहती है, किन्तु गुटबाजी में फंसी भाजपा वर्तमान विधायक झूमा सोलंकी के सामने एक निर्विवाद चेहरे की तलाश में है। वैसे तो भाजपा में एक दर्जन से भी अधिक दावेदार हैं लेकिन फिलहाल पूर्व भाजपा जिला महामंत्री नंदा ब्राहमणे, भीकनगांव जनपद अध्यक्ष सरदार रावत, गुलाबसिंह वास्कले, जनपद सदस्य बहादुर वास्कले, पूर्व विधायक धुलसिंह डावर की दावेदारी पुख्ता मानी जा रही है। दावेदारों, कार्यकर्ताओं व जनता से जानकारी जुटाने आलाकमान ने भीकनगांव विधानसभा की जिम्मेदारी भुसावल के विधायक व पूर्व मंत्री संजय सावकारे को दी है।

सुलझे हुए नेता सावकारे

53 वर्षीय विधायक संजय सावकारे बेहद सुलझे हुए नेता माने जाते हैं, पूर्व में एनसीपी से भुसावल का प्रतिनिधित्व कर चुके सावकारे वर्तमान में बीजेपी से विधायक हैं व पूर्व मंत्री भी रह चुके हैं। सावकारे ने अपना प्रत्याशी कमल का फूल बताकर आते ही अपने तेवर भी दिखाना शुरू कर दिए हैं।

भिलाला समाज से ही विधायक

भीकनगांव विधानसभा वर्ष 1962 से अस्तित्व में आई एवं वर्ष 1977 से अजजा वर्ग के लिए आरक्षित हैं और अब तक के चुनाव यदि जातिगत समीकरणों के हिसाब से देखें तो हर बार यहां से भिलाला समाज का ही वर्चस्व रहा है, भाजपा एवं कांग्रेस की सीधी लड़ाई में एक भी बार अन्य जाति के उम्मीदवार नहीं जीत पाए है। भील समाज कई वर्षों से टिकट की मांग कर रहा है लेकिन भाजपा-कांग्रेस ने अब तक उन्हें मौका नहीं दिया है, कांग्रेस ने जरूर 2003 व 2008 के चुनाव में बारेला समाज पर भरोसा जताया था किन्तु उसे हार का सामना करना पड़ा। कांग्रेस विधायक झूमा सोलंकी भी भिलाला समाज से है, इसलिए भाजपा को उनके सामने भिलाला समाज के ही योग्य उम्मीदवार की तलाश है।

भील समाज पर प्रयोग?

भील समाज के गुलाब सिंह वास्कले, मनोज मोरे, सोनू गोलकर विधानसभा की दावेदारी कर रहे हैं, गुलाब सिंह वास्कले तो पिछले 20 साल से लगातार टिकट मांग रहे हैं लेकिन विधानसभा के जातिगत समीकरणों के कारण उन्हें निराशा ही हाथ लगी है। क्षेत्र में फिलहाल वह सक्रिय हैं एवं जिला, मंडल संगठन की पसंद भी है लेकिन क्या भाजपा इस बार भील समाज को आगे करने का प्रयोग कर जोखिम उठाकर आगे बढ़ सकती हैं यह भविष्य तय करेगा। फिलहाल भीकनगांव सीट पर कोई भी नया प्रयोग भाजपा के लिए मुसीबत से कम नहीं है।

सूखा खत्म करेंगे ‘सरदारÓ?

10 सालों से भीकनगांव विधानसभा में भाजपा का सुखा खत्म करने के लिए भिलाला समाज से कई दावेदार मजबूती से उभरकर सामने आये है…2013 में बहुत कम वोट से हारने वाली भाजपा की पूर्व जिला महामंत्री नंदा ब्राह्मणे एक बार फिर से टिकट की मांग कर रही है, सांसद गुट के भरोसे वे मैदान में जरुर है किंतु जनता में उनकी पैठ अब तक वैसी नहीं बन पाई है जिससे वह झूमा सोलंकी के सामने चुनौती पेश कर सके वहीं कर्मचारी वर्ग में भी नंदा ब्राह्मणे के खिलाफ सुगबुगाहट खुलकर सामने आती रही है, वहीं पुरुष विधायक की मांग क्षेत्र में जिस तरह उठ रही है उससे नंदा ब्राह्मणे के लिए मुश्किल हो सकती है। उधर भीकनगांव जनपद पंचायत अध्यक्ष सरदार रावत दुसरे सभी दावेदारों से फिलहाल आगे निकलते दिखाई दे रहे हैं, भीकनगांव में उनकी टीम सबसे बड़ी मानी जाती है वहीं कांग्रेस का एक बड़ा वर्ग भी उन्हें पसंद करता है जिससे उनकी संभावनाएं प्रबल हो सकती है। वहीं भीकनगांव क्षेत्र में कई सामाजिक, धार्मिक संगठनों सहित जिला भाजपा व मंडल भीकनगांव का भी उन्हें साथ है, सरदार रावत के मैदान में आने से भाजपा की गुटबाजी पर भी विराम लग सकता है, इनके अलावा पूर्व विधायक धुलसिंह डावर, चिरिया मंडल अध्यक्ष बिहारी मोरे, लक्ष्मी मोरे, अनिता निगवाल, हितेश मुजाल्दा भी कतार में हैं जो अपने अपने माध्यमों से टिकट मांग रहे हैं।

बाहरी को ‘नाÓ

भीकनगांव विधानसभा में चुनावी मैनेजमेंट से लेकर चुनाव जीताने तक की जवाबदारी भुसावल से विधायक संजय सावकारे को दी गई है। पिछले दिनों उन्होंने दौरा कर दावेदारों की नब्ज़ टटोलने की कोशिश भी की है। दावेदारों से व्यक्तिगत चर्चा के दौरान विधायक सावकारे ने एकजुट होकर भाजपा को जीताने की बात कहीं तो सभी दावेदारों ने इस बात पर जोर दिया कि हम भीकनगांव विधानसभा के निवासियों में से किसी को भी टिकट दिया जायेगा तो एकजुट होकर काम करेंगे व भाजपा की जीत सुनिश्चित करेंगे किन्तु अगर किसी बाहरी पर भरोसा कर टिकट दिया गया तो उसके लिए काम नहीं कर पायेंगे।

सावकारे करेंगे सर्वे

भीकनगांव सीट को लेकर भाजपा काफी गंभीर नजर आ रही हैं, इसलिए प्रशासनिक स्तर पर एवं कई माध्यमों से सर्वे कराए जा रहे हैं जिसकी रिपोर्ट भोपाल भेजी जा रही है। गुप्त सर्वे रिपोर्ट में भाजपा के लिए भीकनगांव सीट चुनौतीपूर्ण बताई जा रही है इसलिए आलाकमान उम्मीदवार चयन करने की जल्दबाजी में नहीं है एवं सारी जवाबदारी विधायक संजय सावकारे को दी गई है। विधायक सावकारे 27 अगस्त तक क्षेत्र में पहुंचकर आमजनों व कार्यकर्ताओं से मिलकर विधानसभा में भाजपा की जीत सुनिश्चित कैसे हो इस पर मंथन करेंगे व आलाकमान को रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे।

झूमा भी किसी से पीछे नहीं..

कांग्रेस से विधायक झूमा सोलंकी की पेठ आम जनता तक है सरल व मिलनसार होने के साथ ही हर छोटे बड़े व्यक्तियों से सीधा संपर्क होने से विधायक झूमा सोलंकी भाजपा से सभी दावेदारों पर भारी दिखाई दे रही है। भाजपा से कोई भी उम्मीदवार हो सभी पर स्थानीय कांग्रेस विधायक झूमा सोलंकी अपनी सीट आसानी से निकाल सकती है।

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