अनोखा तीर, हरदा। प्रदेश तो छोड़ें हरदा जिले में ही ठेकेदारी की प्रथा इस कदर पनप गई है कि अब लोग एक बार ठेका लेने के बाद मनमाफिक ढंग से काम करने लगते हैं। फिर चाहे नियम कोई और हो या कानून कोई और किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता। यही वजह है कि आज शहरी क्षेत्र का ठेका लेने के बाद भी शराब ठेकेदार जमकर रुतबा गांठकर हर जगह शराब बिकवा रहे हैं जिनका उन्हें कोई भी अधिकार ही नहीं है। ज्ञात हो कि भाजपा की बड़ी नेत्री उमा भारती के विरोध पर मध्य प्रदेश शासन के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नई आबकारी शराब नीति बनाकर खूब वाहवाही लूटी मगर अब इसके दूसरे दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं। कल तक जो लोग शराब अहाते में बैठकर पीते थे, अब ये अहाते बंद होने पर उनके शौक हेतु खुले स्थान मिल गए हैं। आजकल इन्हें आसपास के खेतों और मैदानों में खुले तौर पर देखा जा सकता है।
क्या है मनमर्जी का ठेका
इधर इन दिनों आबकारी विभाग की मिलीभगत से शहरी क्षेत्र के शराब ठेकेदारों के गुर्गे धड़ल्ले के साथ गांव-गांव जाकर अवैध रूप से अपनी शराब अवैध रूप से बिकवानए का काम रहे हैं। यहां आसपास के गांवों में चाय-पान और किराने की दुकानों पर यह आसानी से मिल रही है। सबसे खास बात यह कि शराब दुकान पर इनकी बिक्री का समय तय है। मगर इन अवैध केंद्रों पर परिचित लोग कभी भी 24 घंटे जाकर खरीदी कर सकते हैं। अच्छा इससे गांवों का शांत माहौल पहले की तुलना में अधिक खराब हो गया है।
दिखावे की घोषणा बेअसर
बीते दिनों जिले की तहसील रहटगांव में आए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जिले के पुलिस अधीक्षक व प्रशासनिक अधिकारियों को मंच पर बुलाकर अवैध शराब बिक्री, अवैध रेत खनन व परिवहन पर सख्ती से कार्रवाई के निर्देश दिए थे। इसके विपरीत हरदा जिले में गांव-गांव शराब ठेकेदार के वाहनों से किराना दुकान व गांव बने ढाबों पर भेजी जा रही है। जो लोग स्थानीय ठेकेदार से शराब ले कर नहीं बेचते और अन्य जिलों से लाकर बेचते हैं, उन पर ठेकेदार के इशारे से धारा 34-2 की कार्यवाही करवा दी जाती है। वहां ठेकेदार अपने पास से भी शराब रखवा कर यह स्थानीय थाने से कार्रवाई करवा देते हैं। इस प्रकार जिले में शराब माफिया का राज चल रहा है।