यह बात गलत है….
आप जो यह तस्वीर देख रहे हैं, वह शहर के परशुराम चौक पर लगे ट्राफिक सिग्नल है। जो लंबे समय से बंद पड़ा है। यही हाल अन्य स्थानों पर लगे सिग्नलों का है। जिन्हें पुन: बहाल करने के लिए कोई सार्थक प्रयास नजर नही आ रहे हैं। जिसके चलते यातायात कंट्रोल की दिशा में यह व्यवस्था बीते दिनों की बात कहलाने लगी है। जब, शहर के प्रमुख चौराहों पर ट्राफिक सिग्नल लगने की वजह से बड़े शहरों सा नजारा दिखने लगा था। ये सब साल डेढ़ साल ठीक चला। लेकिन, बाद में एक-एक कर सिग्नलों में तकनीकि खामियां आने लगी। जिनका कुछ समय तक सुधार कार्य भी हुआ। परंतु अंतत: इसके रखरखाव का जिम्मा संभाल रहे लोगों ने घूटने टेक दिए। परिणामस्वरूप शहर के अंबेडकर चौक, अस्पताल चौक, परशुराम चौक और खंडवा बायपास पर लगे सिग्नल शोपीस बनकर रह गए हैं। इनमें एक-दो सिग्नल की हालत दयनीय है। वहीं दूसरी ओर शहर में प्रारंभ हुई इस व्यवस्था का ये हाल देखकर लोग कह ही देते हैं, कि यह बात गलत है।