हरदा

विभाग ने तीन माह के लिए बंद की रेत खदान, लेकिन खनन जारी

भंडारण कर महंगे दाम पर रेती बेच रहे ठेकेदार

 

कैलाश शर्मा/ प्रदीप शर्मा, हरदा। यूं तो कहने को शासन के खनिज विभाग द्वारा हर साल बारिश के मौसम में रेत खदानों से खनन पर रोक लगा दी जाती है। मगर इसका असर कहीं देखने को नहीं मिलता है। इस साल भी जिले में 1 जुलाई से नर्मदा नदी की तमाम वैध खदानों से खनन पर रोक लगा दी गई है। इस कारण इन सभी स्थानों की रेत खदानें तीन माह के लिए बंद हुए एक सप्ताह से अधिक का समय बीत चुका है। मगर प्रदेश में मानसून लेट आने का फायदा उठाकर कुछ ठेकेदार वैध और अवैध सभी खदानों से रेत निकालकर भंडारण करने में लगे हुए हैं। इससे रेत महंगी होने का दोहरा फायदा उठाया जा रहा है। एक तो रायल्टी बची है, साथ ही बैन होने के कारण लोगों को अन्य कहीं से भी जुगाड़ नहीं हो पाएगी। अक्सर यह देखने में आया है कि बन रहे भवन की तराई में पानी का ट्रांसपोर्ट, पानी की व्यवस्था आदि बचाने के लिए लोग वर्षाकाल में निर्माण करना पसंद करते हैं। इसमें ऊपर से हो रही वृष्टि का उन्हें खूब लाभ मिलता है। लोगों की इसी जरूरत और खनन पर रोक का जमकर लाभ उठाया जाता है।

क्या हैं हालात

वर्तमान समय में यूं भी रेत के भाव आसमान छू रहे हैं। अब खदान बंद होने के बाद लोगों को एक डंपर रेत पर आठ से दस हजार रुपये अधिक देने पड़ रहे हैं। इसका लाभ देखते हुए ठेकेदार यहां-वहां से खनन कराकर नर्मदा की रेती के नाम पर धंधा चौखा कर रहे हैं। इन्हें कोई देखने और समझने वाला नहीं है। बताते हैं इस बारे में ठेकेदारों की पहले ही बात हो जाती है कि इस मौसम में ही उन्हें लाभ मिल सकता है।

भंडारण में जुटे ठेकेदार

आगामी दो-तीन माह बारिश को देखते हुए सभी रेत ठेकेदार अवैध रूप से खनन कराके इसका भंडारण करने में व्यस्त हैं। उनकी इस बार ज्यादा रेत का भंडारण करने की कोशिश इसलिए है, क्योंकि उनका ठेका भी जल्द खत्म होने वाला है। यदि पर्यावरणीय और उत्खनन अनुमति लेने में देरी हुई तो नए ठेकेदार अक्टूबर में उत्खनन शुरू नहीं कर पाएंगे। ऐसे में अभी भंडारित की गई रेत ही बिकेगी।

अनुमति लेकर ही ठेके देगी सरकार

अब प्रदेश सरकार की नई रेत नीति अक्टूबर से लागू की जा रही है। इसमें उत्खनन सहित अन्य सभी अनुमतियां लेकर ही खदानें ठेकेदारों को सौंपी जाएंगी। ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि पिछली बार के अनुभव खराब रहे हैं। ठेकेदार दो-दो साल भटकने के बाद भी अनुमतियां नहीं ला पाए। इसलिए कुछ ने खदानें छोड़ दीं, तो कुछ के ठेके रायल्टी की राशि नियमित जमा न करने के कारण निरस्त कर दिए गए। इस प्रकार वर्तमान ठेकेदार अधिक से अधिक मुनाफा अभी कूटने के फेर में दिखाई दे रहे हैं।

रात्रि में होता है परिवहन

जिले में धड़ल्ले के साथ ट्रेक्टर ट्रालियां चल रही हैं। रेत खदान बंद होने के बाद अवैध रेत की ट्रालियां भी रात्रि में रेत का परिवहन करते देखी जाती है। एक ट्राली रेत पांच से छ: हजार में बिक रही हैं। जब एक रेत की ट्राली वाले से हमारे प्रतिनिधि ने पूछा कि भैया आपकी रेत कोई पकड़ता नहीं तो उसका जबाव था कि भैया सभी थानों को पैसा देते हैं। हरदा के तीन थाने और हंडिया थानों को प्रति ट्राली 500-500 रूपए देते हैं। दूसरी ट्राली वाले ने बोला तीन हजार रुपए महिना देते हैं। फिर खनिज विभाग के बारे में पूछा तो वह बोलने लगे वह तो जब पकड़ में आ जाती है तो उन्हें अलग से कर देते हैं।

छीपानेर में बना रेत का पहाड़

जिले के छीपानेर के गांव बाहर रेत ठेकेदार ने रात्रि में जेसीबी और पोकलेन मशीन से अवैध खुदाई कर निकाली रेत का पहाड़ बना रखा है। खनिज विभाग की मौन स्वीकृति से सीहोर, नर्मदापुरम जिले से भी अवैध रेत निकाल कर यहां स्टाक किया है।

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