यह बात गलत हैहरदा

यह बात गलत है….

 

आप जो यह तस्वीर देख रहे हैं, वह मुख्यालय स्थित शासकीय जिला अस्पताल का दृश्य है। जब, कोई गंभीर मरीज यहां पहुंचता है तो कई बार स्ट्रेचर तक उपलब्ध नही रहता है। जिसके चलते मरीज के परिजनों को यहां-वहां भटकते देखा जा सकता है। जैसे-तैसे अगर स्ट्रेचर मिल भी जाएं तो उसे धकेलने वाला नही मिलता है। जिससे उनकी समस्या कम होने के बजाय ओर ज्यादा गहरा जाती है। जबकि, मरीजों को मुख्यद्वार से अंटेड करने के लिये अमला तैनात रखा है। जिनका कार्य ही यही है कि मरीजों को तुरंत ओपीडी ले जाया जाएं। लेकिन ऐसा होता हुआ बहुत कम दिखाई देता है। खासकर ऐसे समय पर जब मरीज किसी गरीब परिवार से ताल्लुक रखता हो। उसकी कोई सुध लेने वाला मौजूद नही रहता है। कई बार तो मरीजों के परिजन खुद सट्रेचर धकेलते देखे जा सकते हैं। जिला अस्पताल में अव्यवस्थाओं को देख लोग कहना नही चूकते, कि यह बात गलत है।

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