आगजनी रोकने में एमपी देश का रोल मॉडल
फायर प्रोटेक्शन के मामले में विपिन पटेल अब्बल रहे -रीवा एसडीओ ऋषि मिश्रा तीसरे नंबर पर
गणेश पांडे, भोपाल। जंगलों में आगजनी को रोकने के मामले में मप्र देश में एक रोल मॉडल के रूप में उभरा है। वर्ष 2023 में आग से मात्र 3881 वन क्षेत्र प्रभावित रहे। जबकि पिछले साल 13438 हेक्टेयर वन भूमि आगजनी से प्रभावित थी। इसके पीछे अधिकारियों और कर्मचारियों की कड़ी मेहनत और आईटी शाखा के जरिए की जाने वाली सतत निगरानी रही। इसके लिए आईटी शाखा से अंकुर अवधिया, सतना डीएफओ विपिन पटेल और डीएफओ साहिल गर्ग के साथ रीवा एसडीओ और आईएफएस ऋषि मिश्रा को पुरस्कृत किया गया। भारत सरकार ने वन विभाग को इस वर्ष अग्नि प्रकरणों में 10 प्रतिशत कमी करने का लक्ष्य दिया था। इस लक्ष्य के विरुद्ध वन विभाग ने 51 प्रतिशत आगजनी की घटनाओं में कमी आई है। यह बात अलग है कि यह उपलब्धि हासिल करने के लिए वन विभाग को 30 करोड़ से अधिक की राशि खर्च करना पड़े। इस राशि से हर डिवीजन में दो-दो ड्रोन के अलावा सैकड़ों की तादाद में एयर ब्लोअर और आगजनी किट की खरीदी की गई। विभाग के अधिकृत जानकारी के अनुसार 2022-23 में वन आगजनी में मात्र 11619 अग्नि प्रकरण दर्ज किए। इससे यह स्पष्ट है कि वन विभाग ने आगजनी की घटनाओं में प्रभावी नियंत्रण किया। जबकि वर्ष 2020-21 में 54734 फायर पॉइंट एवं वर्ष 2021-22 में 34559 पॉइंट पर आगजनी की घटनाएं हुई। आगजनी की घटनाओं को रोकने के लिए सिंपलीफायर बेव द्वारा वन अग्नि की घटनाओं को नक्शो के माध्यम से वन रक्षकों को जानकारी दी गई। जिसके परिणामस्वरूप त्वरित और प्रभावित नियंत्रण किया गया। साथ ही वन बल प्रमुख आरके गुप्ता ने व्हाट्सएप गु्रप के माध्यम से लगातार मॉनिटरिंग भी की। भारतीय वन सर्वेक्षण संस्थान के अग्नि पोर्टल पर मध्य प्रदेश से 45287 मोबाइल नंबर पंजीकृत किए गए। इसके अलावा 15628 वन सुरक्षा समितियों और 23000 से अधिक स्थानीय लोगों की मदद के जरिए आगजनी की घटनाएं रोकने में कामयाबी मिली।
एप की मदद से हो रही मॉनिटरिंग
मध्यप्रदेश में 94689 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र है। इसमें 61886 वर्ग किलोमीटर आरक्षित वन, 31098 वर्ग किलोमीटर संरक्षित वन और 1705 वर्ग किलोमीटर अन्य वन क्षेत्र है। वन विभाग फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की मदद से दो सेटेलाइट से आगजनी की घटनाओं की लगातार जानकारी हासिल करता है। अधिकारियों का कहना है कि हर दो घंटे में जंगल का डाटा मिलता रहता है। इसके बाद सेटेलाइट इमेज की मदद से संबंधित क्षेत्र में आग को फैलने से रोकने और बुझाने का काम होता है। प्रदेश में जंगलों के आसपास रहने वाले 35 हजार लोगों को जोड़ा गया है। जिन्हें मैसेज भेजकर आग लगने की सूचना दी जाती है।
देवास और दमोह में आगजनी की सबसे अधिक घटनाएं
तमाम उपकरणों मशक्कत के बाद भी देवास और दमोह में सबसे अधिक आगजनी की घटनाएं दर्ज की गई है। पिछले वर्ष सतना डिवीजन में 3061 आगजनी की घटनाएं हुई थी। लेकिन वर्ष 2023 में सतना डिवीजन टॉप-15 की सूची में भी नहीं है। इसी प्रकार रीवा डिवीजन आगजनी की घटनाओं में टॉप टेन की सूची में था जो कि इस वर्ष टॉप -14 की सूची से बाहर है। 1457 आगजनी की घटनाएं दर्ज की गई थी।
डिवीजन फायर पॉइंट
देवास 1630
दमोह 1423
साउथ छिंदवाड़ा 1140
साउथ बालाघाट 1097
अब्दुल्लागंज 1081
रायसेन 1061
सीहोर 985
बांधवगढ़ एनपी 853
खंडवा 810