अनोखा तीर, भोपाल। हिंदी लेखिका संघ मध्यप्रदेश भोपाल की मई माह की मासिक काव्य गोष्ठी ऑनलाइन संपन्न हुई। जिसमें गर्मी और जल संरक्षण जैसे विषय पर लेखिकाओं ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत की। कार्यक्रम की अध्यक्षता साहित्यकार एवं गज़लकर डॉ. राजश्री रावत राज ने की, साथ ही अपना सुमधुर गीत सुनाया। है जीवन की सौगात, जल की दात्री है बरसात। शारस्वत अतिथि साहित्यकार एवं कथाकार लेखिका संघ की पूर्व अध्यक्ष उषा जायसवाल रहीं। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि आभासी पटल पर गोष्ठी के माध्यम से हम सब अंतरराष्ट्रीय स्तर तक मिल पा रहे हैं। अध्यक्ष हिन्दी लेखिका संघ म.प्र डॉ. कुमकुम गुप्ता ने कहा कि आभासी गोष्ठी आयोजित करने का उद्देश्य है कि दूरस्थ शहरों व अंचलों की सदस्यों को भी सुनने का अवसर मिले। कार्यक्रम का सफल संचालन महिमा श्रीवास्तव वर्मा ने, सरस्वती वंदना नविता जौहरी ने और आभार विनीता राहुरीकर ने व्यक्त किया। रचनापाठ के क्रम में सुश्री सुनीति बैस ग्वालियर की कविता की पंक्तियां थीं.. सर से लेकर पांव तक बहता है पसीना, तपता है कितना हाय ये गर्मी का महीना। सुश्री यशोधरा भटनागर ने..सुनहला कल अंजुरी में बूँद-बूँद सिंचित करें जल, करें प्रयास यह सुनहला होगा अपना कल। पद्मा मोटवानी गुजरात ने..जलमेव जयते की महत्ता को समझें। सीमा अग्रवाल ने..गर्मी और जल का अद्भुत मेल, दोनों के बिना जीवन बेमेल। उमा दुबे जबलपुर ने… वर्षा का जल व्यर्थ न हो, भूजल स्तर का न होगा ह्रास। उषा सक्सेना ने.. सजल धरा ही तो सृजन के बीज बोती है। जनक कुमारी बघेल शहडोल ने.. धैर्य धरा का डोल रहा है। पूर्व अध्यक्ष अनीता सक्सेना ने कहा कि हमें प्रकृति के असंतुलन से उपजे जलसंकट की समस्या के समाधान पर विचार करना होगा। पुष्पा शर्मा प्रीति खंडवा ने हास्य रचना सुनाई। बंद हुआ एसी, मेरी हो गयी ऐसी की तैसी। मृदुल त्यागी की काव्य पंक्तियाँ थीं हर दिन हर पल प्रकृति को सजाएँ, जल संरक्षण के कदम उठाए। उषा जायसवाल सारस्वत अतिथि ने कहा आभासी पटल के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी हम गोष्ठी आयोजित कर रहे हैं। भोपाल के साथ दूरस्थ शहरों, अंचलों से भी गूगल मीट पर बहुत अधिक संख्या में लेखिकाएं उपस्थित रहीं।
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