देवास में ग्रामीणों ने की थी जिस तेंदुए की सवारी, वो जीत गया जिंदगी की जंग, लेकिन वापस नहीं अपना सका जंगल का जीवन

अनोखा तीर देवास। जिंदगी की जंग जीतकर जंगल में पहुंचे तेंदुए रामू को अब प्राणी संग्रहालय (जू) में भेजे जाने का विचार चल रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि तेंदुआ स्वस्थ तो हो गया, लेकिन वाइल्ड लाइफ बिहेवियर को नहीं अपना पा रहा।

खिवनी अभयारण्य में छोड़े जाने के बाद से ही वह शिकार नहीं कर सका और जब उसके सामने पिंजरा रखा तो वह पिंजरे में आकर बैठ गया। इस पर वन विभाग की टीम ने सीडब्ल्यूएलडब्ल्यू (चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन ) को प्रस्ताव भेजा है, जिसमें उपरोक्त बातें उल्लेखित हैं।

बता दें कि अगस्त 2023 में जिले की सोनकच्छ तहसील के इकलेरा माताजी गांव के समीप तेंदुआ दिखा था। यह केनाइन डिस्टेंपर नामक बीमारी से पीड़ित था। कुछ ग्रामीणों ने  तेंदुए की सवारी तक की थी, जिसका वीडियो इंटरनेट मीडिया में बहुप्रसारित हुआ था।

सूचना मिलने पर वन विभाग की टीम ने तेंदुए का रेस्क्यू किया और उसका इलाज शुरू किया। कुछ समय के लिए उसे प्राणी संग्रहालय इंदौर में रखा गया। वहां स्वास्थ्य में सुधार होने के बाद तेंदुए को दौलतपुर रेस्ट हाउस लाया गया। यहां पिंजरे में तेंदुए को रखा गया और इलाज जारी रखा।

लंबे समय तक तेंदुआ पिंजरे में ही रहा और उसे खाने-पीने का सामान भी पिंजरे में ही दिया गया। स्थानीय कर्मचारियों ने देखरेख के दौरान तेंदुए को रामू नाम दिया। ज्ञात हो कि केनाइन डिस्टेंपर ऐसी बीमारी है जिसमें वन्य जीवों के बचने का संभावना शून्य होती है।

नहीं दिखा तेंदुए का मूवमेंट

देखरेख के दौरान जब लगा कि तेंदुआ अब ठीक है तो 18 दिसंबर 2023 को वन विभाग की टीम ने खिवनी अभयारण्य में तेंदुए को छोड़ा। यहां तेंदुए को मानीटरिंग पर रखा। उसके व्यवहार और हावभाव देखे गए। इस दौरान यह पाया कि तेंदुआ वाइल्ड लाइफ बिहेवियर नहीं कर पा रहा और वह एक ही जगह पर बैठा है। शिकार के लिए भी मूवमेंट नहीं किया।

करीब 48 से 72 घंटों तक सतत मानीटरिंग करने के बाद तेंदुए के सामने पिंजरा रखा। पिंजरा देख तेंदुआ इसमें जाकर बैठ गया। इसके बाद विभागीय अधिकारियों ने विशेषज्ञों से बात की और यह निष्कर्ष निकला कि तेंदुआ बीमारी से तो ठीक हो गया है लेकिन वह वाइल्ड लाइफ बिहेवियर भूल गया है। इसी कारण न शिकार कर पा रहा न ही मूवमेंट।

इसके बाद सीडब्ल्यूएलडबल्यू को प्रस्ताव बनाकर भेजा कि तेंदुए को किसी प्राणी संग्रहालय में रखे जाने पर विचार किया जाए। खिवनी अभयारण्य के अधीक्षक विकास महोरे ने बताया कि पिछले एक माह से तेंदुए के व्यवहार को देखने के बाद यह निष्कर्ष निकला कि वह वाइल्ड लाइफ के अनुरूप व्यवहार नहीं कर पा रहा है। इस कारण जू में भेजे जाने का प्रस्ताव बनाया।

खिवनी अभयारण्य में छोड़े जाने के बाद तो तेंदुआ नार्मल लग रहा था, लेकिन जब उसकी मानीटरिंग की तो पाया कि वह फिजिकली तो फिट है, लेकिन वाइल्ड लाइफ बिहेवियर नहीं कर पा रहा। ऐसे में इसे जू में छोड़ा जा सकता है। इस पर सीडब्ल्यूएलडब्ल्यू को प्रस्ताव बनाकर भेजा है। मंजूरी मिलने पर वे संबंधित जू अथारिटी को ट्रांसफर कर देंगे, जिसके बाद आगे की प्रक्रिया होगी। – प्रदीप मिश्रा, डीएफओ, देवास

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