यह बात गलत है….

आप जो यह तस्वीर देख रहे हैं, वह मुख्यालय स्थित स्वामी विवेकानंद व्यवसायिक काम्पलेक्स का प्रांगण है, जहां नपा की पेयजल टंकी एवं इंटकवेल बना हुआ है। बावजूद यहां ये हाल है कि निगरानी एवं देखरेख पर संवाल उठना लाजमी है। दरअसल इंटकवेल के आसपास जहां गंदगी का वातावरण है, वहीं पानी की टंकी पर ऊपर जाने के लिये बना सिढ़ाओं ंंंअव्यवस्थाओं से घिरा है। सिढ़ाओं के प्रवेशद्वार पर बोरियों का ढ़ेर लगा है, जो आते-जाते वक्त बाधक बनता है। इन सबके बीच अगर ये सबकुछ ऊपर आने-जाने की रोकथाम या यूं कहें कि सुरक्षा की दृष्टि से यह जरूरी था, तब भी कुछ सवाल और सुझाव सिर उठाये खड़े हैं। पहला सिढ़ाओं पर पहले से लगे गेट के अलावा वर्तमान में उसे आइड-साइड से भी बंद कर सकते हैं। इससे फायदा यह कि टंकी के सिढ़ाओं की तस्वीर साफ हो सकेगी। वहीं यहां रखी बोरियों को लेकर तरह-तरह के कयासों को विराम भी लग सकेगा। फिलहाल टंकी के सिढ़ाओं पर बोरियों का ढ़ेर देखकर लोग स्थानीय दुकानदारों का अनर्गल सामान समझते हैं। जबकि कुछ लोग इसे प्लास्टिक और भंगार बीनने वालों का डेरा समझते हैं। खैर, ये सब कयासों का दौर है। मामला केवल यह है कि सिढ़ाओं पर खचाखच भरी बोरियों को देखकर लोग कह देते हें, कि यह बात गलत है।

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