जगह-जगह फैले पड़े खाली बॉटल व पाऊच
प्रदेश सरकार की स्वच्छ एवं जनहितैषी मंशाओं पर मैदानी अफसर पलीता करने से बाज नही आ रहे हैं। जिसके चलते जहां सरकार की किरकिरी हो रही है, वहीं नर्मदा तटीय क्षेत्र में प्रतिबंध के बावजूद जारी शराब विक्रय को लेकर धर्मप्रेमियों में नाराजगी व्याप्त है। यह मामला जिले की धार्मिक नगरी हंडिया का है, जो क्षेत्रवासियों की आस्था का केन्द्र है। करीब सात साल पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपनी नर्मदा सेवा यात्रा दौरान साधु-संत समेत अन्य जनमानस की भावनाओं को शीर्ष पर रखकर नर्मदा तटीय गांव, कस्वा व शहर में शराब के विक्रय को बंद करने का निर्णय लिया था। उस पर ताबड़तोड़ अमल भी हुआ। परंतु , ये सब वैध व्यवस्था की रवानगी और अवैध कार्यो के पैर पसारने जैसा साबित हुआ। परिणाम स्वरूप हालात जस के तस हैं।
अनोखा तीर, हरदा। तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपनी नर्मदा सेवा यात्रा दौरान साधु-संत समेत अन्य जनमानस की भावनाओं के अनुरूप नर्मदा तट पर बंसे गांव, कस्बा और शहरी क्षेत्र में शराब का विक्रय बंद करने की घोषणा को जन-जन ने सराहा था। खासकर जिले की धार्मिक नगरी हंडिया को नशे के चंगुल से मुक्त होने की उम्मीद लेकर धर्मप्रेमीजनों ने सरकार के इस कदम का स्वागत किया था। वहीं उनकी उम्मीदों को उस समय बल मिला, जब घोषणा के परिपालन में शासन स्तर पर आदेश जारी हुआ। साथ ही मैदानी स्तर पर तेजी से अमल भी हुआ। जिसके चलते हंडिया से पांच किलोमीटर की परिधी में शराब के विक्रय पर प्रतिबंध का पालन ुहुआ। इसी क्रम में हंडिया से शराब दुकान को विदा कर दिया गया। इसके कुछ समय तक सब कुछ ठीक रहा। लेकिन, बाद में लोगों ने इसे कमाई का जरिया बना लिया और चोरी-छिपे शराब का अवैध विक्रय करने में जुट गए। तब से यहां देसी-विदेशी शराब का धंधा फलफूल रहा है। प्राप्त जानकारी के अनुसार हंडिया स्थित मांगरूल रोड स्थित रेत नाका के पास एक कच्ची झोपड़ी से शराब बेची जा रही है। इसी मार्ग से आते-जाते वक्त ग्रामीणों की नजर पड़ना लाजमी है। इसके अलावा शराबी लोग मनचाही जगह पर डेरा डाल देते हैं। जहां अपना काम पूरा करने के बाद अंत में खाली बॉटल और पन्नी के पाऊच समेत अन्य कचरा वहीं छोड़ देते हैं, जो यह दर्शाता है कि नर्मदातटीय क्षेत्र में शराबखोरी जमकर चल रही है। वहीं दूसरी ओर शराब की खरीद-फरोख्त पर प्रभावी रोक लगाने की दिशा में जिम्मेदार अधिकारियों की कार्यशैली सवालों के घेरे में है। क्योंकि, इन सबके बीच प्रदेश सरकार की स्वच्छ एवं जनहितैषी मंशा को पलीता लग रहा है। जिसके चलते सरकार की किरकिरी होना तय है। प्राप्त जानकारी के अनुसार नर्मदा तटीय ग्राम हंडिया में सरकार की सख्ती के बावजूद इस धंधे में लिप्त लोग बेखौफ होकर शराब बेच रहे हैं। जिसके कारण धार्मिक स्थल के प्रति आस्थावान लोगों में नाराजगी है।
पहली फुरसत में स्टॉक
ग्रामीणों के मुताबिक इन दिनों शराब की दुकान कुसिया स्थित कबीट वाले नाले के पास से संचालित है। जहां सुबह होते ही अलग-अलग गांव के लोग शराब लेने पहुंचते हैं, जो पहली फुरसत में अपनी जरूरत अनुसार शराब ले जाते हैं। उन्होंनें बताया कि यह तस्वीर अब आम हो चुकी है।
आसानी से उपलब्ध शराब
उन्होंनें यह भी बताया कि गांव-गांव शराब की सप्लाई चेन तैयार की है। जहां अलग-अलग तरीकों से शराब पहुंचती है। यही कारण है कि जिले के कई ग्रामों में शराब आसानी से उपलब्ध हो जाती है। ऐसे स्थानों मे ढ़ाबा और गांव की किराना दुकान शामिल हैं। कई लोग घर से भी शराब बेचते हैं।
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