इस साल रबी सीजन में जहां चना की फसल का रिकार्ड रकबा दर्ज हुआ है, वहीं दूसरी ओर मौसम के साथ फसल की पटरी नही बैठ रही है। ये हालात अचानक नही बल्कि शुरूआती समय से बरकरार हैं। परिणामस्वरूप चना की फसल बेहाल है। स्थिति यह है कि चना की फसल कहीं उमाले का शिकार तो कहीं बांझ जैसे हालतों से जूझ रही है। दरअसल, चना की फसल उम्र के अंतिम पड़ाव की तरफ अग्रसर है। अब तक के सफर में फूल की पहली और दूसरी बहार गंवाने के बाद किसानों को इनदिनों तीसरी बहार से अंतिम आस बंधी है।
इस तरह उमल रहा चना
बगैर फूल लहलहाता चना
अनोखा तीर, हरदा। इस साल रबी सीजन में मौसम की आंखमिचौली चना उत्पादक किसानों पर भारी पड़ती नजर आ रही है। हालांकि, इसके बावजूद क्षेत्र का किसान चुनौतियों का डटकर मुकाबला कर रहा है। लेकिन, यह भी बताना होगा कि मौसम की बेरूखी के कारण प्रभावित चना की फसल को बखरना पड़ा। किसानों के मुताबिक खेत बखरने का सिलसिला आए दिन जारी है। इसकी मुख्य वजह किसानों को लागत निकलने की उम्मीद टूट चुकी थी। इसलिये, उन्होंनें खेत में कल्टीवेटर घूमाना बेहतर समझा। बता दें कि क्षेत्र में मौसम के बार-बार करवट बदलने के चलते कहीं चिंता तो कहीं नुकसानी के बादल छाये हुए हैं। खासकर जलभराव वाले खेतों में फसल पूरी तरह चौपट हो चुकी है। गौरतलब है कि इस साल रबी सीजन में जहां चना की रिकार्ड रकबे में बुआई हुई है, वहीं दूसरी ओर मौसम के साथ चना फसल की पटरी नही बैठ रही है। यही किसानों की मुख्य चिंता का विषय है। क्योंकि, चना इन विपरीत हालातों से अचानक नही बल्कि फसल के शुरूआती दौर यानि बाल अवस्था से जूझ रहा है। इन सबके बीच चना की फसल अपनी उम्र के अंतिम पड़ाव की तरफ अग्रसर है। अब तक के सफर में फूलवारी की पहली और दूसरी बहार गंवाने के बाद किसानों को इन दिनों तीसरी बहार से अंतिम आस बंधी है। ऐसे से मौसम की जरा सी नादानी पूरा खेल चौपट कर सकती है। बस, इन्हीं आशंकाओं के मध्य मौसम साफ होने की उम्मीद जताई जा रही है। बहरहाल, किसानों की मानें तो चना की फसल कहीं उमाले का शिकार तो कहीं बांझ जैसे हालतों से संघर्ष कर रही है।
चने की सेहत पर बुरा असर
किसानों के इस बुरे वक्त में किसान कांग्रेस ने आवाज बुलंद की है। जिलाध्यक्ष मोहन सांई ने कहा कि चना की फसल को करीब ढ़ाई महिना हो गया है। इस बीच बार-बार मौसम बिगड़ने से फसल का पूरा सफर डगमगा गया है। जिसका असर फसल की सेहत पर पड़ा है। उन्होंनें यह भी कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में भ्रमण दौरान प्रभावित फसलों का जायजा लिया है। जहां पौधे से फूल नदारद हैं। ऐसे में फसल से उसकी ढ़लती उम्र में आखिर क्या और कितनी उम्मीद कर सकते हैं।
बुरे वक्त में राहत की दरकार
किसान कांग्रेस अध्यक्ष ने प्रशासन से मांग की है कि मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुए किसानों से खासकर छोटे व लघु सीमांत किसानों से विभिन्न वसूली को स्थगित किया जाए। क्योंकि, एक तरफ प्रभावित फसल के कारण जहां किसानों को बजट बिगड़ गया हैं, वहीं दूसरी ओर विद्युत, नहर समेत अन्य भुगतान को लेकर चिंताओं से घिरा हुआ है। श्री सांई ने प्रभावित फसल का पंचनामा तैयार कर राहत की कवायद तथा वूसली को रोकने की मांग की है।
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