नशारूपी आतंकवाद से बचने की जरूरत : राजेंद्रानंद महाराज

प्रशांत शर्मा, हरदा। कथा के मंच पर गायक कलाकारों ने पायो जी मैने रामरतन धन पायो…की प्रस्तुति के साथ रेवापुर में दूसरे दिन गुरुवार को श्रीमद् भागवत कथा की शुरुआत की गई। हरिद्वार निवासी प्रसिद्ध कथावाचक राजेंद्रानंद महाराज ने कथा का वाचन करते हुए कहा कि अपने घर के संस्कारों को मजबूत करो। कभी भी बच्चों के सामने नशे की चर्चा मत करो। आज सभी की ओर नशा रूपी आतंकवाद देख रहा है। अगर नशा रूपी आतंकवाद हमारे बीच आ गया तो सब कुछ बर्बाद हो जाएगा। इस तरह की कथाओं का भी कोई महत्व नहीं रह जाएगा। इसलिए हमें हमेशा नशे से दूर रहना है। कथा का वाचन करते हुए राजेंद्रानंद महाराज ने आगे कहा कि सज्जनों जैसे पक्षी के दो पंख होते हैं, जिससे वह देश-विदेश की यात्रा करता है। उसी प्रकार परमात्मा ने भी मनुष्य को सद्ज्ञान और सत्कर्म रूपी दो पंख दिए हैं। जो आप कर रहे हो वह सत्कर्म और कथा सुनकर जो ज्ञान आ जाए वह सद्ज्ञान है। इन दो पंखों के कारण मनुष्य इही लोक और परलोक की यात्रा कर सकता है। बिना सत्संग और बिना हरिकथा के हमारा उद्धार नहीं कर सकते। जितनी शक्ति भगवान में है उतनी ही शक्ति भगवान की भक्ति में भी है। संस्कारों की चार पीठ होती है। प्रहलादजी ने मां के गर्भ में भक्ति करना सीखा। गर्भवती महिला को दूध पीते समय भगवान श्रीकृष्ण का स्मरण करना चाहिए ताकि उसकी होने वाली संतान संस्कारी हो सके। दूध पीते समय श्रीहरि का स्मरण करते रहना चाहएि। एक बच्चा बहुत सारे संस्कार अपनी मां की गर्भ और कोख में सीखता है। मां लालची होगी तो बच्चा भी लालची होगा। मां अगर प्रभु की भक्ति करेगी तो बच्चा भी भगवान की भक्ति में मन लगाएगा। जब घर में कोई बड़ा या बुजुर्ग बोल रहा है तो छोटों को नहीं बोलना चाहिए। कथा के दौरान बड़ी संख्या में ग्रामीण पहुंचे।

Views Today: 2

Total Views: 22

Leave a Reply

लेटेस्ट न्यूज़

MP Info लेटेस्ट न्यूज़

error: Content is protected !!