भोपाल। शहर के भोपाल हाट में हितग्राहियों द्वारा अपनी दुकानों को अवैध रूप से किराये पर दिया जा रहा है। प्रदेशभर में हस्तशिल्प और हथकरघा को बढ़ावा देने के नाम पर ये खेल कर रहे हैं, जबकि पात्र हितग्राही को मौका नहीं दिया जा रहा। इस गोरखधंधे की जानकारी हस्तशिल्प विकास निगम के अधिकारियों को भी है, लेकिन वह अनदेखी कर रहे हैं। बता दें कि संत रविदास मप्र हस्तशिल्प एवं हाथकरघा विकास निगम लिमिटेड द्वारा इन दिनों भोपाल हाट में नेशनल हैंडलूम एक्सपो का आयोजन किया जा रहा है। यहां देशभर के बुनकर अपने-अपने हस्तशिल्प और हाथकरघा के उत्पाद विक्रय के लिए लेकर आए हैं।
आवंटन की यह है प्रक्रिया
दुकान आवंटन के दौरान उन्हें निगम को 26,240 रुपये का बांड जमा करना होता है, जिसे वह किसी भी जगह से आनलाइन जमा कर सकते हैं। इसमें 18000 रुपये स्टाल किराया, जीएसटी 3240 व 5000 रुपये बिजली का चार्ज शामिल होता है। उक्त एक्सपो के समापन के बाद आवंटित बुनकर को उक्त राशि में से 15200 रुपये टीए-डीए के रूप में उनके खाते में वापस कर दिए जाते हैं। लेकिन इसी बीच उक्त बुनकर अपने स्थान पर किसी अन्य बुनकर को अपनी आवंटित दुकान किसी दूसरे को 30 से 40 हजार रुपये में किराये पर दे देते हैं। इस तरह वह बिना दुकान लगाए ही सरकार की योजना के जरिए मोटी कमाई कर लेते हैं।
नियम विरुद्ध करते हैं विक्रय
भोपाल हाट में ऐसे कई बुनकर हैं, जो भोपाल में नहीं हैं और दूसरे राज्यों में रहकर अपनी दुकान को चला रहे हैं। बनारस के साड़ी बुनकर अफजल ने अपनी दुकान उप्र के भदोई के रहने वाले सूफियान अली को किराये पर दे रखी है, वह मेले में लकड़ी से बने उत्पाद लेकर आए हैं। उनका पंजीयन हस्तशिल्प के रूप में कराया। जबकि नियम यह है कि कोई भी बुनकर अगर वह हस्तशिल्प के रूप में पंजीकृत है तो वह हाथकरघा का उत्पाद नहीं बेच सकता है, लेकिन उक्त मेले हाथकरघा वाले बुनकर हस्तशिल्प का उत्पाद अवैध रूप से बेच रहे हैं।
मुंबई में होना था सूफियान को, भोपाल कैसे
यहां यह भी बता दें कि सूफियान अली कार्यालय विकास आयुक्त हस्तशिल्प भारत सरकार वस्त्र मंत्रालय भोपाल से पंजीकृत शिल्पी हैं। उसे कार्यालय द्वारा मुंबई में जारी नेशनल गांधी शिल्प बाजार में अपने उत्पाद विक्रय करने के लिए भेजा गया था। वह मुंबइ में आवंटित दुकान को अन्य बुनकर को मोटी रकम में किराये पर देकर वापस भोपाल में ही अफजल के नाम से आवंटित दुकान को चला रहा है।
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