इंदौर। भारत का दिल मध्यप्रदेश न सिर्फ सांस्कृतिक बल्कि पर्यटन के क्षेत्र में भी विकसित है। यहां ऐतिहासिक और पौराणिक पर्यटन स्थल मौजूद है। लिहाजा प्रदेश में न सिर्फ देश बल्कि दुनिया भर से लोग घूमने आते हैं। इस लेख में आपको मध्य प्रदेश के ऐसे ही विश्व प्रसिद्ध स्थलों के बारे में विस्तार से बताते हैं।
मांडू
मांडू मध्य प्रदेश के जिले में स्थित पर्यटन स्थल है। यहां हर साल हजारों विदेशी सैलानी भी आते हैं। मांडू में जहाज महल, रानी रूपमती महल, हिंडोला महल, जामी मस्जिद, नीलकंठेश्वर महादेव मंदिर, श्रीराम मंदिर, हाथी दरवाजा जैसे अहम दर्शनीय मौजूद हैं। इसके साथ ही मांडू के पास अश्मधा फॉसिल पार्क में डायनासोर के अंडे एवं पुरातात्विक अवशेष संग्रहित किये गए हैं।
खजुराहो छतरपुर जिले में स्थित है। यहां यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल मंदिरों का समूह है। यहां हर साल फरवरी माह में विश्व प्रसिद्ध खजुराहो नृत्य महोत्सव का आयोजन भी किया जाता है। इसके साथ ही यहां केन नदी पर स्थित केन घड़ियाल अभयारण्य भी दर्शनीय स्थल है। इसके साथ ही जटाशंकर, भीमकुंड, महाराजा छत्रसाल संग्रहालय और पन्ना राष्ट्रीय उद्यान भी यहां के प्रसिद्ध स्थल है।
पचमढ़ी
पचमढ़ी मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम जिले की पिपरिया तहसील में स्थित है। यह एक प्राकृतिक हिल स्टेशन है, जो कि अपने प्राकृतिक सौंदर्य के कारण जाना जाता है। इसकी ऊंचाई करीब 1068 मीटर है। मध्यप्रदेश का उच्चतम बिंदु धूपगढ़ जो की 1352 मीटर ऊंचा है। वह भी यहीं स्थित है। इसके आस-पास मौजूद घने जंगलों में शेर, तेंदुआ, भालू जैसे जंगली जानवर भी पाए जाते हैं।
बांधवगढ़ नेशनल पार्क
उमरिया जिले में स्थित बांधवगढ़ नेशनल पार्क वन्य प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र है। छोटे तितलयां, बाघ, तेंदुआ, भेड़िया और सियार जैसे जानवर यहां पाए जाते हैं। यहां पक्षियों की 250 से अधिक प्रजातियां भी मौजूद है। बांधवगढ़ अपनी धाराओं, दलदल, जंगल के किनारों और जंगली फूलों के लिए जाना जाता है।
भीमबेटिका
भीमबेटिका रायसेन जिले में स्थित है। भोपाल मुख्यालय से इसकी दूरी करीब 46 किलोमीटर है। दूर स्थित है। यहां मौजूद गुफाएं प्रागैतिहासिक काल की है। भीमबेटिका में नवपाषाण काल से संबंधित शैलचित्र भी मिलते हैं।
सांची के स्तूप
जिले में स्थित सांची के स्तूप बौद्ध धर्म से संबंधित है। यहां पहाड़ की चोटी पर सम्राट अशोक द्वारा कई स्तूप बनवाए गए थे। इस क्षेत्र में खुदाई से प्राप्त प्रसिद्ध अशोक स्तंभ को भारत के राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में अपनाया गया है। इन स्तूप की खोज 1818 में की गई थी।
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