नरेंद्र को जीत नहीं दिला सकी बहन आरती, सचिन को मिला लाडली बहना का साथ

विकास पवार बड़वाह– रविवार को विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने आए। बड़वाह सीट से भाजपा का परचम लहराया। उम्मीदवार सचिन बिरला करीब 5818 वोटो से जीते। प्रतिद्वंदी रहे कांग्रेस प्रत्याशी नरेन्द्र पटेल को हार का सामना करना पड़ा। बता दे कि पूरे चुनाव में सट्टा बाजार से लेकर चौक-चौराहा की चर्चाओं पर नरेंद्र पटेल के जीतने के अनुमान लगाया जा रहे थे। माहौल भी उन्हीं का बताया जा रहा था। उनके समर्थक भी जीत को लेकर आश्वस्त थे। प्रफुल्लित थे। उत्साहित थे। जीत हमारी ही होगी। लेकिन मतगणना के दौरान आए चुनाव परिणाम ने उन्हें चौंका रख दिया। सचिन अपनी चतुर राजनीति से इस बार फिर जिताऊ उम्मीदवार बनकर उभर आए। पहले राउंड से लेकर दोपहर तक हुए अंतिम 19 राउंड तक बढ़त बनाकर चले और लीड लेकर चले। कांग्रेस प्रत्याशी नरेन्द्र पटेल को आगे आने ही नहीं दिया। मतगणना में सचिन को जैसे-जैसे बढ़त मिले,इधर शहर सहित ग्रामीण क्षेत्र के भाजपाई और उनके समर्थक जीत, विश्वास,उम्मीद का जश्न मनाया। आतिशबाजी की। एक-दूसरों को बधाइयां दी। मिठाइयां बटवाई। जमकर नाचे- झूम उठे। ढोल-धमाके के साथ जुलूस निकाले। जय-जय श्री राम,भारत माता की जय,तय भाजपा- विजय भाजपा जैसे नारे बुलंद करतेे विभिन्न मार्गो से गुजरे।

कांटे की टक्कर का था मुकाबला-

चुनाव को लेकर दोनों कांटे की टक्कर का मुकाबला था। कांग्रेस प्रत्याशी नरेंद्र पटेल सीधे-सीधे पहली बार चुनाव में उतरे थे। उनके साथ कांग्रेस के पुराने दिग्गज नेता मैदान में थे। जो पूरा उनके चुनाव का खेल जम रहे थे। हालांकि भाजपा प्रत्याशी सचिन बिरला के पास तीन चुनाव का अनुभव था। चुनाव कहां से जीता जा सकता है और निकाला जा सकता है। इसका पूरा प्लान था। हालांकि सचिन की जीत के सामने दल-बदल का फैक्ट और भीतर घातियो का घात रोड़ा बन रहा था। लेकिन लाडली बहनाओं के मिले अपार साथ के आगे यह सब फैक्ट हवा हो गया।

बहनाओं की विशाल रैली से बना था सचिन का माहौल…  

चुनाव में शुरू से ही नरेंद्र के नाम की चर्चाएं जोरों पर चल थी। लेकिन मतदान के दो दिन पूर्व शहर में निकली लाडली बहनाओं की विशाल रैली से नरेंद्र की चर्चाएं नगण्य हो गई। और सचिन का माहौल बन गया। इस खेल को जमाने में नगर पालिका के उपाध्यक्ष राजेश जयसवाल की कुशल राजनीति रही। जिनके बदौलत बड़वाह ब्लॉक से सचिन बिरला को करीब 6 हजार वोटो की बढ़त मिली। जो उनकी जीत सुनिश्चित कर गई।

गुर्जर समाज ने भी दे दिया सचिन का साथ-  

मतगणना में यह सामने आया कि सचिन बिरला का गुर्जर समाज ने भी साथ दिया। राजपूत समाज के भी उन्हें वोट मिले। हालांकि कांग्रेस प्रत्याशी नरेंद्र पटेल इन्हीं दो समाज के बल पर अपनी जीत का दावा कर रहे थे। क्योंकि सचिन को लेकर इन दोनों समाज में अच्छी खासी नाराजगी थी। और कांग्रेस प्रत्याशी के काका पूर्व सांसद स्वर्गीय ताराचंद पटेल की भी इन समाज में साख थी। जिसके चलते इन दोनों समाजों के वोट पक्के मानकर चल रहे थे। लेकिन सचिन अपनी सरलीय मिलनसरिता से दोनों समाज में घुल मिल लिये। और नाराजगी वोट में तब्दील कर ली।

नरेंद्र को जीत नहीं दिला सकी..,बहन आरती की मेहनत… 

कांग्रेस प्रत्याशी नरेंद्र पटेल के लिए चुनाव में उनकी बहन आरती पटेल ने जी-तोड़ मेहनत की थी। बड़वाह ब्लॉक की प्रभारी थी। उन्होंने चुनाव जीतने के लिए हर मतदाता का दरवाजा खटखटाया था। हालांकि भाई की जीत के लिए यह सब काफी नहीं था। सचिन का राजनीतिक योग बलवान था। जो उन्हें सीधे तौर पर सुनिश्चित जीत की ओर ले गया।

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