जरूरत के वक्त टोटा…. जद्दोजहद ! डीएपी और यूरिया के लिए कतारबद्ध किसान

 

अनोखा तीर, हरदा। जिले में रबी फसलों की बुआई के लिए डीएपी खाद तथा पहली सिंचाईं में लगने वाले यूरिया को लेकर क्षेत्र के किसानों को खासी जद्दोजहद करनी पड़ रही है। उन्हें ना तो सोसायटी और ना ही विपणन संघ के गोदाम पर आसानी से खाद मिल रहा है। इसके लिए किसानों को आवश्यक दस्तावेज के साथ कतार में खड़े होने को विवश हैं। जबकि जिले में करीब आधे रकबे में बुआई संपन्न होने के बाद अब तक व्यवस्था चुस्त-दुरूस्त या यूं कहें कि खाद की भरपूर उपलब्धता होनी थी। लेकिन ऐसा होने के बजाय किसानों को खाद हासिल करने के लिए कसरत करनी पड़ रही है। वहीं दूसरी ओर किसानों को तत्काल आवश्यकता पड़ने पर बाजार में भी डीएपी खाद उपलब्ध नही हो रहा है। ऐसी स्थिति में किसानों के सामने दुकानों पर उपलब्ध एनपीके खाद ही एकमात्र विकल्प है। जबकि गेहूॅ-चना की बुआई में डीएपी खाद को सबसे उपयुक्त माना गया है। बावजूद, कृषि प्रधान जिले में खाद की किल्लत ने किसानों के माथे पर चिंता की लकीर खींच रखी है। इस संबंध में किसान कांग्रेस के जिलाध्यक्ष मोहन बिश्नोई ने मंगलवार को पे्रस विज्ञप्ति के माध्यम से प्रशासन को खाद वितरण व्यवस्था पर नजर रखनी चाहिए। उन्होंनें कहा कि जिले में खाद की किल्लत बरकरार है। जिससे क्षेत्र के किसानों को समस्या से जूझना पड़ रहा है। वे हर रोज खाद के लिए मुख्यालय के चक्कर काट रहे हैं। उन्होंनें कहा कि प्रायवेट दुकानदार इसका फायदा उठाने में पीछे नही है। किसानों को डीएपी की जगह एनपीके उपलब्ध कराया जा रहा है। जो करीब सौ से सवा सौ रूपए महंगा पड़ रहा है।

किसानों के हितार्थ जारी करें नंबर

किसान कांग्रेस अध्यक्ष ने अधिकारियों के उन दावों को भी गलत करार दिया, जो खाद की उपलब्धता को लेकर बार-बार किया जा रहा है। श्री बिश्नोई ने खाद की उपलब्धता की खबर के साथ अधिकारियों का नंबर जारी करने की मांग की है, ताकि खाद ना मिलने की दशा में उनसे संपर्क किया जा सके। इसके अलावा किन-किन दुकानदारों के पास कितना-कितना खाद उपलब्ध है, यह भी सार्वजनिक करने की मांग दोहराई है। इससे किसानों की परेशानी काफी हद तक कम हो सकेगी।

खाद के लिए लाइन में खड़े किसान

बता दें कि इन दिनों बुआई के साथ गेहूॅ में पहली सिंचाईं का कार्य जोरों पर हैं। ऐसे में अब यूरिया की जरूरत रफ्तार पकड़ने लगी है। जिसका उदाहरण मंडी स्थित विपणन संघ के कार्यालय के बाहर देखा जा सकता है। जहां खाद के लिए किसान लाइन में खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में खाद की उपलब्धता तथा उसके वितरण पर फोकस की आवश्यकता है, ताकि सभी किसानों को उनकी मांग अनुरूप खाद मुहैया कराया जा सके। इनमें सोसायटियों के साथ विपणन संघ तथा प्रायवेट दुकानें शामिल हैं।

 

 

अधिकारी बोले, जिले में पर्याप्त खाद  

इधर अधिकारियों ने खाद की भरपूर उपलब्धता का एक बार फिर दावा किया है। उन्होंने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि रबी मौसम वर्ष 23-24 के लिए जिले में उर्वरक 3645 मेट्रिक टन, डीएपी उर्वरक 940.7 मैट्रिक टन एवं एमपी के 20:20:13 281 मेट्रिक टन, एनपीके 12:32:16 उर्वरक, 311.5 मेट्रिक टन, सिंगल सुपर फास्फेट 1621 मेट्रिक टन एवं न्यू म्यूरेट ऑफ पोटाश 308.९ मेट्रिक टन उपलब्ध है। जिले में रबी मौसम उर्वरकों को कोई कमी नहीं होगी। मांग के अनुसार पर्याप्त मात्रा में उर्वरक उपलब्ध है। नवंबर में यूरिया उर्वरक की दो रैक आना संभावित है। जिससे जिले में उर्वरक की पर्याप्त आपूर्ति हो सकेगी। कृषि उपसंचालक ने किसानों से अनुरोध किया है कि डीएपी उर्वरक के विकल्प के रूप में एनपीके अपनाया जा सकता है, जिससे फसल उत्पादन में वृद्धि होगी।

इनका कहना है…

त्यौहार और चुनाव के कारण ७ दिन अवकाश रहा। जिसके बाद खाद के लिए ज्यादा संख्या में किसान पहुंच रहे हैं। खाद की कोई कमी नहीं है। डीएमओ, विपणन संघ और मार्केटिंग के अलावा प्राईवेट दुकानदारों के काउंटरों से खाद वितरण कार्य जारी है।

श्री काशिव, विपणन संघ

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