विकास पवार बड़वाह– विधानसभा चुनाव की मतदान प्रकिया खत्म होने के बाद से अब प्रत्याशियों की जीत को लेकर बाजार गरम है।हर तरफ केवल किस पार्टी के प्रत्याशी की जीत होगी इसी की चर्चा हो रही है। लेकिन कांग्रेस समर्थक नरेंद्र पटेल और भाजपा समर्थक सचिन बिरला की जीत के दावे कर रहा है। जहा चार व्यक्ति मिल रहे। वहा विस चुनाव की बात न हो, ऐसा संभव नही। कोई ग्रामीण तो कोई नगरी क्षेत्र से चुनावी समीकरण की जानकारी हासिल कर खुद को संतुष्ट करता दिख रहा है। जबकि मतदान के एक दिन पूर्व की बात करे। तो जितनी फील्डिंग कांग्रेस नेता और कार्यकर्ताओ ने अपने प्रत्याशी के लिए की। उससे अधिक भाजपा में बुध अध्यक्ष के साथ उनके कार्यकर्ताओ ने भी की है। इसलिए अभी किसी भी प्रत्याशी की एक तरफा जीत का दावा कोई नही कर रहा। इसलिए दोनो प्रत्याशी की जीत को लेकर 50-50 की जनचर्चा बनी हुई है।
लाडली बहना का सर्मथन एक तरफा मिला तो बिरला —–
चुनाव मतदान के दो दिन पहले भाजपा द्वारा नगर में लाडली बहना सम्मेलन करवाया गया था। जहा पूरे विस क्षेत्र में 42 हजार लाडली बहनाओ को योजना का लाभ मिलने की बात सामने आई थी। हालाकी उस कार्यक्रम में ढाई हजार से अधिक लाडली बहना शामिल हुई थी। जिनकी रैली नगर से गुजरने के दौरान देखने वाले दंग रह गए थे। जिससे ये अनुमान लगाए गए थे, की भाजपा प्रत्याशी सचिन बिरला को एक तरफा 42 हजार लाडली बहना के सर्मथन के साथ उनके द्वारा केवल तीन वोट भाजपा के पक्ष में डलवाए जाए। तो सचिन बिरला की जीत पक्की होगी। हालांकि सचिन बिरला को दो बार विधानसभा चुनाव लड़ने का अनुभव भी है। जिसके चलते श्री बिरला ने अपनी और संगठन की बनाई रणनीति के अनुसार चुनाव लड़ा। उनके लिए तीन टीमों ने काम किया। वही चुनाव में भीतरघातियो का भी उन्हें सामना करना पड़ा। खेर ये जीत और हार का फैसला तो आने वाली 3 दिसंबर को जिला मुख्यालय पर खुलने वाली ईवीएम मशीन में ही होगा।
परिवर्तन और बिकाऊ टिकाऊ का जादू चला तो पटेल —-
विस चुनाव के पूर्व कांग्रेस चुनाव कार्यालय के शुभारंभ हुआ था। इस दौरान सभा को संबोधित करते हुए पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव और कांग्रेस प्रत्याशी नरेंद्र पटेल ने टिकाऊ और बिकाऊ उम्मीदवार पर काफी फोकस किया था। जबकि चुनाव में इस बात टिकाऊ उम्मीदावर लाने के लिए परिवर्तन करने की बात कांग्रेस नेताओ द्वारा कही थी। यदि इन दोनो बात का विस चुनाव में मतदाताओं पर असर पड़ा, तो कांग्रेस प्रत्याशी श्री पटेल की जीत का अनुमान लगाना गलत नही होगा। जबकि इस विस चुनाव में करीब 78 प्रतिशत मतदान हुआ है। जिसके आधार पर भाजपा लाडली बहना, तो कांग्रेसी परिवर्तन होने का अनुमान लगा रहे है। उल्लेखनीय है की 30 साल बाद कांग्रेस प्रत्याशी नरेंद्र पटेल को 2023 के विस चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने टिकट दिया है। जो अपने काकाजी पूर्व सांसद स्वर्गीय ताराचंद पटेल की गुर्जर समाज में बनाई गई साख के चलते चुनाव मैदान में रहे। वही उनकी बहन आरती पटेल ने अपने भाई के पक्ष में वोट साधने के लिए चुनाव में पूरी तरह जान फूंक दी। उन्होंने सचिन बिरला के कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल होने के मुद्दे को हर तरह से गरमाया। इसके साथ ही कांग्रेस की नारी सम्मान, 500 रुपये में गैस सिलिंडर, किसान कर्ज माफी जैसी अन्य कई घोषणाओं को लेकर मतदाताओं के बीच गई और वोट मांगे। कुल मिलाकर परिवर्तन की लहर में मतदाताओं के वोट नरेंद्र पटेल को मिले। तो कांग्रेस की जीत होना संभव है।
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