आप जो यह तस्वीर देख रहे हैं, वह शहर का मुख्य बाजार घंटाघर क्षेत्र है। जहां के आंतरिक मार्ग अव्यवस्थाओं से घिरे हुए हैं। एक तरफ जहां वाहनों का झमेला लगा रहता है, वहीं दूसरी ओर ठेले व फेरी लगाकर धंधा करने वालों का मकड़जाल है। जिसके चलते यहां पहुंचने वाले लोगों को खासी असुविधाओं से गुजरना पड़ता है। जबकि पूर्व में स्थानीय दुकानदारों के सतत प्रयासों के चलते नपा ने राजस्व दल के साथ मिलकर यहां व्यवस्था बनाई थी। उससे पहले अतिक्रमणकर्ताओं को खदेड़ने का काम किया। साथ ही अन्य दुकानदारों को उनकी हद भी समझाई। इसके लिए नपाकर्मियों ने चूने की लाइन डालकर सीमाएं भी निर्धारित की थी। उनकी मैदानी कसरत के परिणामस्वरूप बाजार में व्यवस्थाएं चाक-चौबंद दिखाई देने लगीं थी। परंतु कुछ समय बाद व्यवस्था फिर बेपटरी हो गई। जिसे पटरी पर लाने के लिए दुकानदारों ने अपने प्रयासों को पुन: रफ्तार प्रदान की। लेकिन, इस बार ऐसा माहौल नही बन पाया, जो शुरू में बना था। यही कारण है कि बाजार में फिर मनमानी का रवैया दिखाई देगा। जिसका तीज-त्यौहार समेत अन्य विशेष अवसरों पर बुरा प्रभाव देखने को मिलता है। ठीक उसी समय लोग बोल उठते हैं, कि यह बात गलत है।
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