महिलाओं से पीड़ित पुरुषों की आवाज बना एसआईएफ

 

अनोखा तीर, बैतूल। जिला मुख्यालय पर होटल आईसी ईन में प्रदेश में पुरुषों के अधिकारों की सुरक्षा एवं न्याय के लिए कार्य कर रही संंस्था एसआईएफ सेव इंडियन फैमेली द्वारा पुरुष दिवस का आयोजन किया गया। पूरा विश्व 19 नवंबर का दिन पुरुष दिवस के रूप में मनाता है। जिले में भी एसआईफ द्वारा पिछले तीन वर्षों से यह आयोजन किया जा रहा है। आयोजक एवं संस्था के संस्थापक डॉ. संदीप गोहे ने आयोजन के दौरान संस्था के उद्देश्यों की जानकारी देते हुए बताया कि पुरुषों की प्रताड़ना के मामले पहले मेट्रो सिटी में देखने मिलते थे, लेकिन अब यह छोटे शहरों में भी सामने आने लगे हैं। महिलाएं पुरुषों को कई मामलों में प्रताड़ित करती है, पत्नी पति को, प्रेमिका प्रेमी को, बहू ससुर को या परिवार के विरुद्ध झूठे मामले पुलिस में दर्ज कराती है। इस तरह के झूठे मामलों से परिवार की सामाजिक छवि को धूमिल कर दबाव बनाने का प्रयास किया जाता है। कई मामलों में पत्नी द्वारा परिवार से अलग रहने के लिए भी प्रताड़ित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि एसआईएफ के पास बैतूल जैसे जिले से भी दर्जनों पुरुष प्रताड़ना के मामले पहुंचे हैं। पुरुष दिवस पर आयोजित सेमीनार में एक दर्जन से अधिक विक्टिम मौजूद रहे, जिन्होंने अपने अनुभव साझा किए। वरिष्ठ समाजसेवी मीरा एंथोनी, परिवार परामर्श केन्द्र की सदस्य सेवा निवृत्त प्राध्यापक पुष्पारानी आर्य, बैतूल सांस्कृतिक सेवा समिति की अध्यक्ष एवं पत्रकार गौरी पदम, डॉ. संदीप बर्डे कार्यक्रम में बतौर अतिथि शामिल हुए। वहीं संस्था के संस्थापक डॉ. संदीप गोहे, डॉ. भारती गोहे ने कार्यक्रम का अनुशासित संयोजन किया। इस अवसर पर समाजसेवी मीरा अंथोनी ने संस्था द्वारा पुरुष दिवस पर कार्यक्रम आयोजन के लिए एसआईएफ की सराहना की। उन्होंने कहा कि पुरुष यदि प्रताड़ित हंै तो उन्हें भी कानून की मदद लेने का अधिकार है। उन्होंने पुरुष आयोग बनाए जाने की संस्था की मांग पर भी सहमति जताई। इस दौरान परामर्शदात्री पुष्पारानी आर्य ने बताया कि भारत हमेशा से ही पुरुष प्रधान देश रहा है। संस्कार के साथ शिक्षा ही परिवार को जोड़कर रखती है। कई बार हमारा ज्ञान भी हमारे लिए प्रताड़ना का कारण बन जाता है। इस वक्त सोच में बदलाव लाने की जरुरत है। पत्रकार गौरी पदम ने कहा कि महिला यदि परिवार का आधार है तो पुरुष परिवार की धूरी है। समाज में पुरुष प्रताड़ना के मामलों में बढ़ोत्तरी का कारण कहीं न कहीं प्रतिस्पर्धा भी है। डॉ. संदीप बर्डे ने कार्यक्रम में मानसिक स्वास्थ्य पर बात की। उन्होंने कहा कि व्यक्ति यदि मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं होगा तो परिवार में विकार और अवसाद बढ़ेगा। इस अवसर पर लोगों ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि किस तरह एसआईएफ पुरुषों की आवाज और हिम्मत बन रहा है। जो बाते पुरुष लोगों को कभी सामाजिक प्रतिष्ठा तो कभी ग्लानि की वजह से बता नहीं पाते उन्हें कहने की हिम्मत एसआईएफ ने उन्हें दी है। इस अवसर पर सभी अतिथियों को तुलसी का पौधा भेंट कर सम्मानित किया गया।

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