जीत हार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे भीतरघाती

नितेश गोयल, हरदा। मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग कर दिया है, अब सिर्फ मंथन का दौरा चल रहा है। कौन जीत रहा है और कौन हार रहा है, यह चर्चा चौक चौराहा पर दिखाई दे रही है। परिणाम तो 3 दिसंबर को ही आएंगे, लेकिन कांग्रेस और भाजपा दोनों ही अभी पूर्ण रूप से यह नहीं कह सकती कि हमारी जीत 100 प्रतिशत पक्की है। इस बार के चुनाव में इस बात की अधिक चर्चा है कि भीतरघात किस प्रत्याशी को ज्यादा नुकसान पहुंचा सकती है, जन चर्चा भी है कि इस बार चुनाव में पहली बार इतना अधिक पैसा खर्च हुआ है जो आज तक के इतिहास में नहीं हुआ। दोनों ही दलों ने कोई कोर कसर मतदाताओं को प्रभावित करने में नहीं छोड़ी है। यदि हम जन चर्चा की बात करें तो आखिरी दिन रात में जो परिणाम को बदलने का प्रयास किया गया है वह कितना सफल होता है यह देखने वाली बात होगी। यदि हम दोनों ही दलों के जीत हार के समीकरणों की बात करें तो कांग्रेस यदि जीती है तो उसकी जीत का मुख्य आधार यह रहेगा कि वह पूर्ण रूप से एक होकर चुनाव लड़ी। वहीं दूसरी और भाजपा से आकर कांग्रेस का मैनेजमेंट संभालने वाले सुरेंद्र जैन भी इस जीत का आधार बनेंगे। यदि कांग्रेस हार जाति है तो वह क्या कारण होंगे, जो हार का कारण बनेंगे। उसमें सबसे प्रमुख करण यह होगा कि जितना बीजेपी का बूथ मैनेजमेंट था, वह कांग्रेस चाहकर भी ना कर पाई। दूसरी बात वह आर्थिक रूप से भी थोड़ी पिछड़ी हुई दिखाई दी और सबसे महत्वपूर्ण कारण यह कि कांग्रेस के पास सिर्फ आरोप प्रत्यारोप के अलावा कोई मुद्दे या विजन स्थानीय नहीं था। कांग्रेस ने सिर्फ कमलनाथ के वचन पत्र के आधार पर चुनाव लड़ा, लेकिन हम यह नहीं कह रहे कि कांग्रेस जीत रही है या हार रही है। यह तो 3 तारीख को ही पता चलेगा। यदि अब हम भाजपा की जीत-हार के करणों का देखें तो भाजपा की जीत का आधार विकास बनेगा, क्योंकि भाजपा प्रत्याशी कमल पटेल विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़े हैं। उन्होंने हरदा को नंबर वन बनाने की बात पर ही पूरा फोकस किया था। वहीं भाजपा का दूसरा जीत का आधार कहा जाए तो वह लाड़ली बहना योजना हो सकती है क्योंकि इस बार महिलाओं के ऊपर भाजपा के प्रदेश नेतृत्व का पूरा जोर था। प्रति माह मिलने वाली 1250 रुपए की राशि एक गेम चेंजर साबित हो सकती है। वहीं दूसरी बात करें तो आर्थिक रूप से भी इस चुनाव में भाजपा कांग्रेस पर भारी पड़ती हुई दिखाई दी। यदि भाजपा के प्रत्याशी कमल पटेल को हार मिलती है तो वह क्या कारण होंगे, उसका मुख्य कारण कार्यकर्ताओं में असंतोष की भावना इस चुनाव में दिखाई दी है। कार्यकर्ता कहीं न कहीं नाराज दिखा है। भले ही वह साथ खड़े होकर भाजपा को जिताने की बात कर रहा था। लेकिन कार्यकर्ताओं में वह जोश नहीं था, जो हर चुनाव में दिखाई देता था।दूसरा मुख्य कारण भाजपा नेता सुरेंद्र जैन को टिकट न मिलने पर बागी होना भाजपा की हार का सबसे बड़ा कारण हो सकता है। क्योंंकि भाजपा के हर चुनाव में सुरेंद्र जैन मैनेजमेंट गुरु के रूप में कार्य करते थे। भाजपा प्रत्याशी कमल पटेल तो चुनाव प्रचार में व्यस्त थे, लेकिन जो परदे के पीछे मैनेजमेंट होना चाहिए था वह इस चुनाव में नही दिखाई दिया। इस चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी दोगने थे, लेकिन भाजपा के कुछ नेता भाजपा के बागी सुरेंद्र जैन पर आरोप प्रत्यारोप की राजनीति कर उन्हें और मजबूत करने का काम कर रहे थे। भाजपा के कुछ नेता मूल मुद्दे से भटक कर उल्टी सीधी शिकायतों के अलावा कुछ नहीं कर पाए। वहीं कांग्रेस द्वारा समय-समय पर ऐसा प्रदर्शित किया कि यह बीजेपी आतंक फैला रही है जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में गलत मैसेज प्रसारित हुआ। हालांकि चुनाव प्रचार खत्म होने के बाद कमल पटेल ने मैनेजमेंट को अपने हाथ में लेकर कार्यकर्ताओं की नाराजगी तो दूर कर दी। वहीं चुनाव को चुनाव जैसा लड़कर मुकाबला कांटेदार बना दिया।

समाजवाद चला तो कांग्रेस को होगा फायदा

हरदा विधानसभा चुनाव में वैसे तो अब तक सामाजिक वोटों के आधार पर जीत हार की बात नहीं की जाती, लेकिन इस बार के चुनाव में सामाजिक गणित बैठाने का प्रयास किया गया है। यदि मतदाताओं ने सामाजिक आधार पर अपने मत का प्रयोग किया तो फायदा कांग्रेस को मिलता दिखाई दे रहा है। कांग्रेस प्रत्याशी आरके दोगने के पास अपने खुद के समाज का एक बड़ा वोट बैंक था। इस बार के चुनाव में गिनती के लोगों को छोड़कर इस समाज ने एक होकर प्रचार के साथ मतदान भी किया है। वहीं कांग्रेस का एक बड़ा वोट बैंक मुस्लिम वर्ग भी है, जिसने कांग्रेस का दामन थामकर रखा है। वहीं हम दूसरे बड़े समाज की बात करें तो करणी सेना इस बार प्रदेश लेवल पर भाजपा के विरोध में दिखाई दे रही थी। इस समाज का भी मत किस ओर गया है, यह भी देखने वाली बात होगी। वहीं चुनाव से ठीक पहले सर्वब्राह्मण समाज के जिलाध्यक्ष ने भी एक वीडियो वायरल कर भाजपा के पक्ष में मतदान न करने की अपील की थी। हालांकि बाद में ब्राह्मण समाज की कोर कमेटी द्वारा इसका खंडन भी किया गया। इस समाज का वोट बैंक भी हरदा विधानसभा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसी तरह इस बार के चुनाव में व्यापारी वर्ग की भी भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। चुनाव से पूर्व कांग्रेस के गगन अग्रवाल की गाड़ी पर पत्थर फेकने की घटना कहीं जो भाजपा का परंपरागत वोटर था, उसे दूर करने का कारण न बन जाए। अब हम बात करें लोक लुभावनी घोषणाओं से फायदे की बात तो कांग्रेस को इस बार के चुनाव में सबसे अधिक फायदा एक घोषणा से हो रहा है, वह घोषणा सरकारी कर्मचारियों को पुरानी पेंशन का लाभ देना। इस घोषणा के तोड़ में भाजपा सिर्फ भत्तों और पदोन्नति की ही बात कर पाई, लेकिन भाजपा द्वारा पुरानी पेंशन लागू करने की बात न करना कहीं न कहीं भाजपा को इससे नुकसान होता दिखाई दे रहा है।

Views Today: 2

Total Views: 40

Leave a Reply

लेटेस्ट न्यूज़

MP Info लेटेस्ट न्यूज़

error: Content is protected !!