उद्देश्यों पर फिर रहा पानी…. दूरदराज स्कूलों में शिक्षकों का मनमाना रवैया बरकरार  

अनोखा तीर, हरदा। जिले के ग्रामीण अंचलों में खासकर वन एवं दूरदराज के ग्रामों में शिक्षा व्यवस्था भगवान भरोसे चल रही है। वहीं तकनीकी सुविधाओं से लैस होने के बावजूद संबंधित चकमा देने में सफल हो जाते हैं। अब इसे जिम्मेदारों का मानवीय दृष्टिकोण व दयाभाव कहें या अधीनस्थ अमले की सूझबूझ। जो भी हो, परंतु जागरूक ग्रामीणों के मुताबिक ये सब लचर शिक्षा व्यवस्था के मुख्य कारणों में से एक है। जबकि सर्वविधित है कि विभिन्न शासकीय शालाएं पर्याप्त स्टॉप की कमी से जूझ रही हैं। ऊपर से शिक्षकों की मनमाना रवैया सरकार की स्वच्छ मंशाओं पर पानी फेरने के समान है। ऐसी स्थिति में जिम्मेदारों का दायित्व बनता है कि मौजूद साधन-संसाधनों में बेहतर क्रियान्यवन के प्रयास निरंतर जारी रहें। जहां अमले की कमी है, वहां वैकल्पिक इंतजाम कर व्यवस्था को सुदृढ़ बनाए रखना है। किंतु यहां लंबे समय से ऐसा कुछ भी होता हुआ नही दिख रहा है और ना ही व्यवस्था में कसावट लाने के लिये निरीक्षणों की सुगबुगाहट सुनने को मिली। जिसका स्कूल संचालन पर सीधा असर होने की बात सामने आ रही हैं। इस संबंध में ग्रामीण क्षेत्रों के शिक्षित एवं जागरूक नागरिकों का कहना है कि शासकीय शिक्षा व्यवस्था में व्यापक बदलाव की जरूरत है। समय के मान से जहां खेल-खेल में पढ़ाई तथा विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से बच्चों का शिक्षा स्तर निखारा जा सके। इन सबके अलावा स्कूल भवन में व्याप्त कमियां, मूलभूत सुविधाओं के प्रति सक्रिय रूख तथा स्कूल परिसर में साफ-सफाई एवं पौधरोपण जैसे पर्यावरण हितैषी कदम उठाए जाने जरूरी हैं।

नियमों का पालन व अनुशासन अहम

शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े अखिलेश पाराशर ने कहा कि शहरी क्षेत्र के साथ ही गांव-गांव सरकारी स्कूल हैं। जहां बच्चों की दर्ज संख्या भी संतोषजनक है। वहीं सरकार भी शिक्षा स्तर सुधारने हरसंभव प्रयास में जुटी है। यही वजह है कि प्राय पूरे सालभर विभिन्न अभियान एवं गतिविधियों क्रम चलता रहता है। इन सबके बीच जरूरी है बेहतर प्रबंधन की। साथ ही नियमित मॉनीटरिंग के लिये अधीनस्थ अमले को पाबंद किया जाए। साथ ही सार्थक परिणाम हासिल करने के लिये लक्ष्य भी प्रदान किए जाएं। वहीं इन सबके बेहतर शिक्षा व्यवस्था के क्रियान्वयन की दिशा में संबंधितों के लिये नियमों का पालन एवं अनुशासन आवश्यक है, ताकि अध्ययनरत छात्र उनका अनुशरण कर सकें।

पूर्व डीपीसी ने की थी कसावट

ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था समेत अन्य व्यवस्थाओं के क्रियान्वयन की जब चर्चा चली तो ग्रामीणजनों के साथ साथ विभागीय अमले के स्मृति पटल पर वे दिन ताजा हो गए। वहीं तुरंत बोल भी पड़े कि पूर्व डीपीसी आरएस तिवारी ने अपने कार्यकाल में जिले की शिक्षा व्यवस्था को नई दिशा प्रदान की। साथ ही विभागीय अधिकारी एवं स्कूली अमला तथा जन शिक्षा केन्द्र पर तैनात शिक्षकों के बीच एक बेहतर तालमेल स्थापित कर स्कूल शिक्षा व्यवस्था का मॉडल पेश किया। उन्होंनें उत्कृष्ट कार्य करने वाले शिक्षकों की हौंसला अफजाई भी की। जिसके माध्यम से शिक्षकों में ऊर्जा का संचार किया, वहीं तीनों ब्लाक के सैकड़ों स्कूल में पदस्थ शिक्षकों से वे सीधा संपर्क बनाने में सफल हुए। इतना ही नही, शिक्षकों के साथ मिलकर श्री तिवारी ने विभिन्न अभियानों को सफलता दिलाई, वहीं लक्ष्यों को प्राप्त भी किया। जिसका अंत में उन्होंनें यहां के एक-एक शिक्षक को श्रेय दिया था

Views Today: 2

Total Views: 14

Leave a Reply

लेटेस्ट न्यूज़

MP Info लेटेस्ट न्यूज़

error: Content is protected !!