नई दिल्ली- हत्या व रेप के मामले में 40 साल बाद दोषी ठहराए गए 75 वर्षीय शख्स को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी है। मिली जानकारी के अनुसार 1983 में हुई वारदात के मामले में शख्स को 40 साल बाद दोषी ठहराया गया था। न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की पीठ ने मुकदमे के निपटारे में देरी को ध्यान में रखते हुए बुजुर्ग शख्स को जमानत दे दी। यह घटना वर्ष 1983 की है। पीठ ने अपने आदेश में कहा कि अपनी उम्र को देखते हुए शख्स जमानत बढ़ाए जाने का हकदार है, जब तक कि उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित अपील का अंतिम निपटारा न हो जाए।
पीठ ने कहा कि आम तौर पर, शीर्ष अदालत को किसी भी मामले का फैसला करने के लिए समय-सीमा तय करने के लिए उच्च न्यायालय को निर्देश जारी नहीं करना चाहिए, लेकिन मुकदमे में 40 साल की देरी को देखते हुए, उसने उच्च न्यायालय से अनुरोध किया कि वह इस मामले को बारी से पहले प्राथमिकता दे। अपील का निपटान कानून के अनुसार किया जाए।
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि अपीलकर्ता को किसी भी अनावश्यक स्थगन की मांग नहीं करनी चाहिए और अपील के शीघ्र निपटान के लिए उच्च न्यायालय के साथ सहयोग करना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि अपीलकर्ता की ओर से डिफ़ॉल्ट के कारण अपील की सुनवाई में देरी होती है, तो प्रतिवादी (पुलिस) के लिए जमानत रद्द करने के लिए उच्च न्यायालय में आवेदन करने का विकल्प खुला होगा। अपीलकर्ता को 40 साल बाद इस साल अप्रैल में दोषी ठहराया गया था।
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