अनोखा तीर, हरदा। श्राद्धपक्ष शनिवार 30 सितम्बर से प्रारंभ होने जा रहे हैं। इस दौरान पूरे सोलह दिनों तक पितरों की आराधना की जाएगी। पिंडदान तथा जलतर्पण के माध्यम से पुत्र तथा पौत्रादिक अपने पितरों को जल तर्पण कर उन्हें संतुष्टि प्रदान करेंगे। जानकारी के अनुसार आज से घरोंघर तथा धार्मिक स्थलों के अलावा पवित्र नदियों के तट पर पित्र पूजा का सिलसिला प्रारंभ होगा, जो कि 14 अक्टूबर सर्व पितृमोक्ष अमावस्या तक चलेगा। इस बीच हर रोज आराधना की जाएगी। उधर, शहर के प्राचीन श्री गोंसाईं मंदिर में भी हर साल की तरह सैकड़ों लोग सामूहिक जल तर्पण में सहभागी बनेंगे। बता दें कि श्री गोंसाईं मंदिर में विगत 24 वर्षो से जल तर्पण पूजा का क्रम जारी है। यहां पंडित विवेक राधेश्याम मिश्र द्वारा निशुल्क तर्पण पूजा कराई जाती है। जिससे पूरा वातावरण पितृभक्ति में डूबा नजर आता है। वहीं मंत्रों की सामूहिक गूंज पितृ को अपेक्षाकृत संतुष्टि प्रदान करता है। पंडित विवेक मिश्र ने बताया कि पितर अत्यंत दयालु होते हैं। वे अपने पुत्र-पौत्रादिकों से पिंडदान एवं तर्पण की आकांक्षा रखते हैं। श्राद्धादि क्रियाओं से पितरों को परम प्रसन्नता तथा संतुष्टि होती है। जिससे पितृगण प्रसन्न होकर श्राद्धकर्ता को दीर्घ आयु, सन्तति, धन-धान्य, विद्या, राज्य सुख, यश, कीर्ति, पुष्टि, बल, श्री, स्वर्ग एवं मोक्ष का आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
नर्मदा तट पहुंचेंगे श्राद्धकर्ता
प्राप्त जानकारी के अनुसार क्षेत्र में श्राद्धपक्ष दौरान पितरों की आराधना अंतर्गत पिंडदान एवं जल तर्पण विधि अपनाई जाती है। इसके लिये पवित्र नदियों का तट सबसे उपयुक्त माना गया है। इसी कड़ी में शनिवार से हंडिया और नेमावर स्थित प्रमुख घाटों पर श्राद्धकर्ताओं की भीड़ रहेगी। जहां पंडितों के सानिध्य में पितरों को विधिपूर्वक जल तर्पण किया जाएगा।
तुरनाल में श्रद्धालुओं का तांता
उधर, नेमावर से करीब 10 किलोमीटर दूर ग्राम तुरनाल में भी श्राद्धकर्ताओं का तांता लगेगा। पौराणिक कथाओं मे ंतुरनाल का विशेष महत्व बताया है। वह इसलिये, क्योंकि यहां भगवान परशुराम ने अपनी मॉ रेणुका का पिंडदान किया था। उस समय पत्थर की विशाल शिला पर पंचलड्डू बनाकर उसकी पूजा की थी। इसके अलावा तुरनाल घाट पर भगवान परशुराम का सुंदर मंदिर बना है।
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