अनोखा तीर हरदा। इस साल फिर रक्षाबंधन पर भद्रा नक्षत्र का साया है। इस कारण यह 30 अगस्त को रात 9.02 बजे बाद और 31 अगस्त को सुबह 7 बजकर 5 मिनट तक मनाया जाना शास्त्र सम्मत बताया गया है। शहर के प्रमुख पुजारियों और ज्योतिषाचार्यों के अनुसार भद्राकाल में राखी बांधना शुभ नहीं रहेगा। इस दिन रात्रि में तथा दूसरे दिन सुबह का मुहुर्त होने से रक्षाबंधन का त्यौहार दो दिन रहेगा। मगर राखी बांधने का मुहुर्त अलग-अलग रहेगा। यहां के सभी ज्योतिषाचार्यों के मतानुसार श्रावण मास की पूर्णिमा को भद्रा रहित अपरान्ह काल में रक्षा पर्व मनाया जाएगा। इस बार फिर इस पर्व रक्षाबंधन पर भद्रा का साया रहेगा। इसलिए भद्रा समाप्ति के बाद प्रदोष काल के उत्तरार्ध में ही पर्व मनेगा।
भद्रा में पूर्णत: निषेध है रक्षाबंधन
ज्योतिषियों के अनुसार भद्रा में रक्षाबंधन को पूर्णत: निषेध किया गया है। भद्रा चाहे किसी भी लोक की क्यों न हो। ऐसी स्थिति में रक्षाबंधन का पर्व भद्रा समाप्ति के बाद यानी 30 अगस्त को रात 9.02 बजे बाद ही मनाना शास्त्र सम्मत है।
सुबह 10.59 से रात 9.02 बजे तक रहेगी भद्रा
30 अगस्त को सुबह 10.58 बजे तक चतुर्दशी तिथि है। इसके बाद पूर्णिमा प्रारंभ होगी, जो 31 अगस्त को सुबह 7.05 बजे तक रहेगी। 30 अगस्त को भद्रा सुबह 10.59 से रात 9.02 बजे तक रहेगी। 31 अगस्त को पूर्णिमा तिथि सुबह 7.05 बजे तक ही है, जो त्रिमुहूर्त व्यापिनी नहीं है।
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