अनोखा तीर, हरदा। खरीफ सीजन दौरान क्षेत्र में बोई गई फसलें इनदिनों वानस्पातिक अवस्था में हैं। जिसे दृष्टिगत रखकर क्षेत्रीय किसानों की फसलों का निरीक्षण एवं कीटप्रकोप से बचाव समेत अन्य जानकारियों को साझा करने उप संचालक कृषि एमपीएस चन्द्रावत के नेतृत्व में गठित डायग्नोस्टिक टीम गांव-गांव भ्रमण कर रही है। इस दौरान खेतों में पहुंचकर किसानों की फसलों का अवलोकन जारी है। इसी क्रम में बुधवार को डायग्नोस्टिक टीम ने क्षेत्र का सर्विलियेंस प्रारंभ कर दिया है। डायग्नोस्टिक टीम में सहायक संचालक कृषि संजय यादव, कृषि वैज्ञानिक मुकेश बकोलिया एवं सर्वेश कुमार एवं वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी वीरेन्द्र साहू शामिल रहे। जिन्होंनें ग्राम सोडलपुर , झाडबीडा, पांढ़रमाटी, कासरनी, झाडपा रैसलपुर, रहटगांव एवं बिच्छापुर का भ्रमण किया। वहीं किसानों द्वारा खेतों में बोई गई सोयाबीन, उड़द एवं मक्का की फसल को देखा। टीम ने निरीक्षण दौरान पाया कि सोयाबीन में सेमीलूपर एवं तम्बाकू इल्ली तथा कहीं कहीं हेलीकोवर्पा का प्रकोप देखने को मिला है। यह कीट पौधों की पत्तियों को खाते हैं, साथ ही फूल की कलियां, फूल एवं फली में विकसित होने वाले दानो को प्रभावित करते हैं। इसके लिये जरूरी है कि नियंत्रण की दिशा में त्वरित कदम उठायें जाएं।
इन दवाओं का करें छिड़काव
इससे निजात पाने कृषि वैज्ञानिकों ने क्लोरएन्ट्रानिलीप्रोल 18.8 एससी की 60 मी.ली. मात्रा या इन्डोक्साकार्ब 15.8 इ.सी. की 135 मी.ली. मात्रा अथवा क्विनालफॉस 25 ई.सी. की 600 मी.ली. मात्रा अथवा बीटासाइफ्लूथ्रीन 8.49त्न एवं इमिडाक्लोप्रीड 19.8त्न की 140 मी.ली. मात्रा का प्रति एकड़ की दर से 200 लीटर पानी में घोल बनाकर छिडकाव करें। ताकि इनदिनों में सामने आ रहे रोगों पर समय रहते नियंत्रण पाया जा सके।
उड़द-मक्का में भी करें छिड़काव
किसानों को यह भी बताया कि उडद फसल में दिख रहे पीले मोजेक से निपटने इस रोग के वाहक सफेद मक्खी पर नियंत्रण पाने क्विनालफॉस 25 ई.सी. की 600 मी.ली. मात्रा का 200 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना फायदेमंद है। इसी तरह मक्का की फसल जलभराव वाले हिस्से में प्रभावित दिखी। इसके लिये संबंधित किसानों को पानी निकासी का इंतजाम तथा एन.पी.के. 19.19.19 का छिडकाव करने की सलाह दी है।
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