अनोखा तीर, हरदा। मध्यप्रदेश में संभवत: हरदा जिला सबसे अधिक वाहन चैकिंग का रिकार्ड बनाने की ओर अग्रसर है। शासन के खजाने में समन शुल्क पहुंचे या न पहुंचे, यह मुहिम लगातार जारी है। इसका अब इतना खौफ हो गया है कि आने-जाने वाले वाहन चालक रास्ते में एक दूसरे को चैकिंग की सूचना दे सतर्क करने से नहीं चूकते। वहीं जिले की सीमा में पहुंचने वाले बाहरी वाहन चालक भी अपने दस्तावेज संभालने लगते हैं, क्या पता कहां चैकिंग शुरू हो जाए। यहां हम वाहनों की चैकिंग अभियान की आलोचना नहीं कर रहे। यह होना भी चाहिए मगर जिस तादाद में जगह-जगह, चप्पा-चप्पा चैकिंग करने स्टाफ तैनात होकर दिन-रात अपनी ऊर्जा खपा रहा है। उस अनुपात में वह शासन के खजाने में कितना समन शुल्क जमा कर पा रहा यह समझ से परे है। ध्यान रहे कि कुछ वर्ष पूर्व हरदा जिले में एक यातायात प्रभारी द्वारा भी ऐसी ही मुहिम हरदा शहर में चलाई गई थी। तब प्रतिदिन हजारों रुपए का समन शुल्क शासन के खजाने में जमा होता था। उनके जाने पश्चात कुछ दिनों तक तो यह खुलासा किया जाता रहा कि आज की तारीख में इतना समन शुल्क वसूलकर खजाने में जमा कराया। मगर बाद में इसका कोई अता-पता नहीं चला। अलबत्ता चैकिंग मिशन पूरे जोशो-खरोश से जारी है। इस मुहिम के चलते जिले में मख्खन भोग ढाबा, सोयाबीन प्लांट, हंडिया और ग्राम खिड़कीवाला के पास वाहन चालकों को संभलकर चलना पड़ता है। क्या पता कब सफेद वर्दीधारी सीटी बजाकर रुकने का संकेत दे दें। यहां आए दिन पूरे समय स्टाफ मुस्तैद रहकर भरी धूप में पसीना बहाता है। जबकि थानों में स्टाफ की कमी बनी रहती है। बताते हैं कि स्टाफ भी चाहता है कि यातायात चैकिंग में उन्हें भी कभी हाथ आजमाने का मौका मिले। अब तो विभाग के पास स्पीड कन्ट्रोल मशीन भी आ गई है जो फट से बता देती है कि अमुक वाहन ओवर स्पीड चल रहा है। इससे भी अमले को हाईस्पीड वाले नए-नवेले वाहनों पर हुनर दिखाते चालकों पर कार्रवाई का मौका मिल गया। इन पर नकेल कसने के लिए तैनात कर्मियों को वाहनों के डाक्यूमेट से कोई मतलब नहीं, बस जैसा वाहन चालक, वैसा दाम की तर्ज पर जिले की यातायात व्यवस्था चल रही है।
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