अनोखा तीर, हरदा। स्थानीय गुर्जर छात्रावास में सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है। कथा के दूसरे दिन पंडित सुशील जोशी ने बताया कि संसार की हर वस्तु नश्वर है। उसकी एक समय सीमा है। उसके बाद वह अपने आप समाप्त हो जाएगी। श्रोताओं को समझाते हुए कहा कि जो नश्वर है, उससे मोह क्या करना। जो अखंड है जो शाश्वत है, जो पहले भी था, आज भी है और आगे भी रहेगा। उस ईश्वर से प्रेम करें। संसार नश्वर है, अनित्य है। ईश्वर साश्वत है नित्य हैं। सांसार से व्यवहार नगद रखो और खाता भगवान के यहां रखो। उन्होंने उदाहरण देते हुए समझाया कि सफर में रेलवे स्टेशन पर कोई खाता नहीं रखता। वहां नगद व्यवहार होता है। ऐसे ही घर परिवार में जो भी जिम्मेदारियां है उन्हें नगद व्यवहार की तरह निभाओ ओर अपना खाता भगवान के यहां खोलो। जगत में व्यवहार दाम से चलता है। भगवान से व्यवहार नाम से चलता। अधिक से अधिक नाम का सहारा लें और जीवन सफल बनाएं। हमने संसार में कई लोगों के कार्यक्रम सफल बनाएं। कई सभा सफल बनाई। अब अपना जीवन सफल बनाओ। महाभारत का प्रसंग सुनाते हुए समझाया कि कौरवों ने पांडवों पर बहुत अत्याचार किए। फिर भी जीत पांडवों की ही हुई और कौरव मारे गए। क्योंकि कौरव धन के सहारे थे और पांडव धर्म के सहारे थे। धन बहुत कुछ है, लेकिन सब कुछ नहीं है। धन से सब कुछ नहीं खरीदा जा सकता है। जहां धर्म है वहां विजय है।
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