भैरूंदा। सडक़ पर होते गहरे गड्डे की और नेशनल हाईवे का कोई ध्यान नहीं हैं। ऐसा लगता हैं कि विभाग बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है। गहरे गड्डो के कारण जहां दो घंटे का सफर तय करने में 6 घंटे लग रहे हैं वहीं पुल-पुलियाओं के क्षतिग्रस्त होने से प्रतिदिन जाम की स्थिति निर्मित हो रही हैं। कुछ ऐसे हालातों से गुजर रहा हैं बुदनी से संदलपुर को जोडऩे वाला 90 किमी. सडक़ मार्ग। सडक़ की जर्जर स्थिति का सबसे ज्यादा खामियाजा वाहन मालिको को भुगतना पड़ रहा है। गहरे गड्डो के कारण वाहन क्षतिग्रस्त हो रहे हैं। प्रतिदिन इस मार्ग से हजारों की संख्या में यात्री बसे, माल वाहक वाहन, चार पहिया व दोपहिया वाहनों की आवाजाही बनी हुई हैं। इंदौर व नागपुर जैसे महानगरों को जोडऩे वाली इस सडक़ की सुध पिछले 15 सालो से नहीं ली जा सकी है। उल्लेखनीय है कि इस सडक़ की स्वीकृति भारत माला परियोजना के तहत की जा चुकी हैं। 150 किमी. लंबी इस सडक़ का निर्माण संदलपुर से बाड़ी बरेली खंड तक किया जाना है। पिछले दिनों एनएच विभाग के द्वारा क्षेत्र के कई गांवो से नक्शे एकत्रित कर कागजी कार्रवाई को शुरु किया गया हैं। लेकिन कागजों में ही परियोजना होने से इसका लाभ कब तक मिल पाएगा यह कुछ कहा नहीं जा सकता। सडक़ की सबसे ज्यादा खराब स्थिति भैरूंदा से संदलपुर तक देखने को मिल रही हैं। सडक मार्ग पर दो से तीन फिट तक बड़े-बड़े गड्डे हो चुके हैं। क्षमता से अधिक लोड लेकर गुजरने वाले वाहनों ने इस मार्ग की स्थिति और अधिक खराब कर दी है।
भारी वाहनों के दबाव, फजीहत यात्री बसों की
इस सडक़ मार्ग पर लगातार भारी वाहनों का दबाव बना रहता है। विशेषकर रेत से भरे 10 से 16 पहिया के हजारों वाहन इस सडक़ मार्ग से प्रतिदिन गुजर रहे हैं। भारी वाहनों का दबाव होने से फजीहत यात्री बसों की होती है। लंबी दूरी पर चलने वाली बसे सडक़ की जर्जर स्थिति के कारण समय पर नहीं पहुंच पाती। वहीं गहरे गड्डो के कारण कई बार दुर्घटना का शिकार भी हो जाती है। वाहन चालकों को यह समझ नहीं आता हैं कि वाहन को कहां पर चलाया जाए। बरसात के दौरान सडक़ पहले से और ज्यादा क्षतिग्रस्त हो चुकी है। ऐसे में सडक़ के निर्माण की आवश्यकता हो चली हैं।
महानगर पहुंचने तय कर रहे पचास किमी का फेर
सडक़ की खराब स्थिति का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता हैं कि इंदौर पहुंचने के लिए निजी वाहन चालकों ने इस मार्ग का उपयोग करना बंद कर दिया हैं। इंदौर पहुंचने के लिए अब वाहन चालक सीहोर आष्टा देवास होते हुए इंदौर पहुंच रहे हैं, जिससे उन्हें 50 किमी. का अतिरिक्त सफर तय करना पड़ रहा है। जबकि भैरूंदा से इंदौर की दूरी खातेगांव चापड़ा होते हुए 165 किलोमीटर है। लेकिन जर्जर सडक़ के कारण वाहन चालक इस सडक़ मार्ग से जाना उचित नहीं समझ रहे है। अतिरिक्त फेर के कारण वाहन चालकों को ईंधन के साथ-साथ समय भी अधिक लग रहा है।
कब पूरा होगा राष्ट्रीय राजमार्ग का सपना
केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के द्वारा की गई घोषणा को ढाई वर्ष बीत चुके है, लेकिन यह घोषणा अब घोषणा बनकर ही रह गई हैं। नेशनल हाईवे का सपना कब पूरा होगा इस मामले में कोई जबाव देने की स्थिति नहीं बन पा रही है। राष्ट्रीय राजमार्ग विभाग द्वारा वाहन चालकों की फजीहत को देखते हुए इस मार्ग की मरम्मत कराना अनिवार्य हो गया हैं। इस मार्ग पर पडऩे वाले कई गांवो के ग्रामीण अब सडक़ मरम्मत को लेकर आंदोलन का मंूड बना चुके है।
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