प्रदीप शर्मा, हरदा। शहर में अपनी-अपनी बीट पर अप-टू-डेट धुली साफ-सुथरी, क्रीज वाली ड्रेस में लकदक तैनात पुलिसकर्मी को देखकर भला किसे रश्क न होगा। मगर यदि कहा जाए कि इसी तरह की दो जोड़ी ड्रेस के लिए आपको साल में ढाई हजार रुपए मिलें तो कैसा लगेगा। आज 2023 के महंगाई इस दौर में क्या यह मुमकिन है कि इस खर्चे को कोई मैन्टेन कर पाए। मगर यह हो रहा है मध्य प्रदेश के पुलिस विभाग में और वह भी ढाई हजार रुपए से भी कम राशि में।
45 साल पूर्व स्वीकृत भत्ता नहीं बढ़ा
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पुलिस विभाग में वर्ष 1978 से जारी यह व्यवस्था आज भी बदस्तूर लागू है। इस विभाग में पुलिसकर्मी को अभी भी सायकल भत्ता दिया जाता है और वह भी 18 रुपए प्रतिमाह। जबकि आज के जमाने में दिन रात भागदौड़ करने के लिए पुलिस स्टॉफ में साइकिल का चलन बंद हो चुका है। फिर भी 60 पैसे रोज के हिसाब से यह भत्ता लागू है। इतने पैसों में तो साइकिल का पंचर एक बार भी नहीं बन पाए। ज्ञात हो कि इस जमाने में अब सभी पुलिसकर्मी जरूरत के मान से मोटर सायकल पर आ गए हैं। मजे की बात यह कि आवेदन लगाने पर प्रतिमाह के मान से 18 रुपए ही मंजूर हो पाते हैं। जबकि पेट्रोल भी 109 रुपए लीटर हो गया है। इधर जिन मदों में बजट बढ़ा भी है तो वह पर्याप्त नहीं है।
ये भत्ता भी खास
विभाग में इसके अलावा पुलिस कर्मियों को अन्य भत्ते में मिलता है। वर्दी धुलाई भत्ता वह भी मात्र 60 रुपए प्रतिमाह। इतने रुपए में आपको वर्दी धुलवानी और क्रीज करवानी पड़ती है। यात्रा भत्ता लोकल के लिए सिपाही को 125 रुपए व आरक्षक को 200 रुपए प्रतिमाह दिया जाता है। महंगाई के इस दौर में यह भत्ता काफी कम है। वहीं न्यूट्रीशन अलाउंस पौष्टिक आहार के लिए 650 रुपए प्रतिमाह मिलते हैं। इससे पहले 350 रुपए मिलते थे। अब इसमें कुछ संशोधन किया गया और 300 रुपए न्यूट्रीशन आहार के 2437 रुपए दिए जाते हैं। पुलिसकर्मी को मकान भत्ता उनकी बैसिक सैलेरी का 5 प्रतिशत दिया जाता है। इस तरह विभाग से उन्हें जो भत्ते मिलते हैं उसमें वे व्यवस्था कैसे बना पाते हैं यही सवाल हर समय बना रहता है। बताया जाता है कि पुलिसकर्मी को मिलने वाले भत्ते में बढ़ोत्तरी गृह मंत्रालय की ओर से जाती है। लेकिन काफी लंबे समय इन भत्तों में बढ़ोत्तरी नहीं की गई है।
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