जघन्य हत्याकांड के दोषी डॉ. सुनील मंत्री को आजीवन कारावास

अनोखा तीर, नर्मदापुरम। दूसरों के जीवन की रक्षा का संकल्प लेने वाले चिकित्सक डॉक्टर सुनील मंत्री ने अपने भरोसेमंद वाहन चालक वीरू पचोरी पर धारदार हथियार से वारकर करीब पांच सौ टुकड़े कर हत्या कर दी। इतना ही नहीं साक्ष्य छुपाने के लिए वीरू के शरीर के टुकड़ों को प्लास्टिक ड्रम में भरे एसिड में गलाने का प्रयास भी किया। लेकिन कहावत चरितार्थ होती है की ऊंट की चोरी नूरे नूरे नहीं होती। फिर क्या था शरीर के टुकड़ों की दुर्गंध से परेशान पड़ोस के लोगों ने कोतवाली पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने घटनास्थल पर देखा तो चकित हो गई। पुलिस ने डॉक्टर के घर की तलाशी ली तो मृतक के शरीर के टुकड़े और हत्या के लिए उपयोग में लाई गई तीन आरी व एक लोहा काटने की आरी सहित अन्य सामग्री जब्तकर डॉक्टर सुनील मंत्री को हिरासत में लिया। मंगलवार को हत्या का दोष सिद्ध होने पर द्वितीय अपर सेशन न्यायाधीश हिमांशु कौशल ने आरोपी सुनील मंत्री को धारा 302, 201 भादंवी में दोषी पाकर आजीवन कारावास तथा 15हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया। मामले में शासन की ओर से जिला अभियोजन अधिकारी राजकुमार नेमा, अरुण पठारिया सहायक जिला अभियोजन अधिकारी द्वारा पैरवी की गई।

पहले नींद का इंजेक्शन फिर काटा था शरीर

हत्या के बाद कोतवाली पुलिस ने हत्या के आरोपी डॉक्टर सुनील मंत्री से वीरू की हत्या की जानकारी ली तो डॉक्टर ने स्वीकार किया कि उसने वीरू की हत्या से पहले उसे नींद का इंजेक्शन देकर उसे घसीट कर बाथरूम ले गया। जहां सबसे पहले वीरू का गला रेता उसके बाद आरी से उसके अंगों के करीब पांच सौ छोटे-छोटे टुकड़े कर काट दिया। डॉक्टर मंत्री ने बताया कि बाथरूम में रखी बाल्टी, कढ़ाई और प्लास्टिक के ड्रम में रखे एसिड में शव के टुकड़े गलाने के लिए डाल दिए थे। इसके बाद कुछ पड़ोसियों ने एसिड की दुर्गंध आने की शिकायत पुलिस से की तो मौके पर हत्या का खुलासा हुआ।

दोषी डॉक्टर मंत्री को भोपाल केंद्रीय जेल भेजा

अपने ही वाहन चालक वीरू पचोरी की हत्या के दोषी डॉक्टर सुनील मंत्री की 2 साल पहले तबीयत बिगड़ने के कारण उसे भोपाल रेफर किया गया था। तभी से डॉक्टर मंत्री भोपाल की केंद्रीय जेल में बंद है। कुछ महीने पहले डॉक्टर मंत्री को न्यायालय के आदेश पर भोपाल से नर्मदापुरम लाया गया, फिर उसे वापस भोपाल जेल भेजा गया। डॉक्टर मंत्री की पेशी ऑनलाइन होती रही। मंगलवार को उसे नर्मदापुरम न्यायालय लाया गया जहां फैसला आने के बाद उसे वापस भोपाल केंद्रीय जेल भेज दिया गया।

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