सेमरी हरचंद– भारतीय संस्कृति में ऐसे अनेकों त्यौहार हैं जिन्हें लोग एक दूसरों के साथ खुशहाली से मनाते हैं। परम्पराओं ने संस्कृति को जीवंत बनाए रखा है ऐसा ही यह होली का त्यौहार है जिसमें गोबर से बनी गुलरिया की पूजा की जाती हैं और सुबह होलिका दहन बाले स्थान पर उन गुलरियों को होलिका दहन मे छोड़ दिया जाता हैं शहर कस्बा और गांवों में इनके बनाने की प्रथा आज भी बदस्तूर जारी है। यह गुलरियां गोबर से बनाई जाती हैं। होली पर्व नजदीक है तो घर की छत पर गुलरियां सूखती दिखाई देती है। नगर में मंगलवार रात को लगभग 8 जगह डांडा गड़ा कर पूजन कर होलिका दहन किया गया वहीं आसपास गांवों में भी कई जगह होलिका दहन हुआ लोगों ने अपने-अपने घर से कंडे लकड़ी ले जाकर होलिका में छोड़े लोगों ने होलिका की परिक्रमा दी वहां पानी गर्म किया और स्नान करने अपने घर लेकर आए लोगों ने होलिका की राख अपने शरीर में लगाई माना जाता है कि इस राख को खाने व शरीर में लगाने से रोग दोष दूर होते हैं। दूसरे दिन जिसे प्रमुखतःहोली धुलेंडी व धुरड्डी, करते हैं लोगों ने एक दूसरे पर खूब रंग, अबीर-गुलाल इत्यादि लगाया व एक दूसरे पर प्रेम से रंग फेंका, ढोल बजा कर होली के गीत गाये और घर-घर जा कर लोगों को रंग लगाया इस बार होली पर बच्चों में रंग गुलाल खेलने के लिए बहुत उत्साह देखा गया। ऐसा माना जाता है कि होली के दिन लोग पुरानी कटुता को भूल कर गले मिलते हैं और फिर से दोस्त बन जाते हैं। एक दूसरे को रंगने और गाने-बजाने का दौर शाम तक चलता रहा।

अनरहा बाले घरों में गुलाल लगाने पहुंचे लोग
क्षेत्र में परंपरा है जिस किसी घर मैं किसी का स्वर्गवास हो जाता है तो होली पर परिवार में गुलाल लगाने लोग पहुंचते हैं नगर के जगदीश प्रसाद उमेश कुमार अनूप कुमार मित्तल परिवार मैं पत्रकार अनूप कुमार मित्तल की पत्नी के देहांत के बाद उनका पहला त्यौहार था नागरिकों ने उनके निवास पर पहुंचकर गुलाल लगाई।
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