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घटना गांव से करीब आधा किलोमीटर दूर गिट्टी खदान के पास की है। हिरणों के शव देर रात वन चौकी लालयाचापड़ भेजे गए हैं। रविवार को शवों का पीएम किया जाएगा। हिरणों के शव जिस जगह मिले हैं वहां एक छोटा सा तालाब है। अधिकारियों को तालाब के पानी में मछली पकड़ने के लिए जहर मिलाए जाने का शक है। माना जा रहा है कि इसी तालाब के पानी को पीने से हिरणों की मौत हुई है। इस मामले में फिलहाल गांव वालों से पूछताछ जारी है।
एक प्रत्यक्षदर्शी ओमप्रकाश विश्नोई ने बताया कि चार हिरणों ने उनकी आंखों के सामने ही दम तोड़ दिया, जबकि दो की मौत रात को हो गई थी। हिरण उनके सामने तड़प रहे थे, उन्होंने पानी पिलाया लेकिन हिरण की जान नहीं बची।
हिरण के शिकार को अंधविश्वास से भी जोड़कर देखा जा रहा है। कुछ लोग हिरणों का शिकार उनके सींग से दवाइयां बनाने और प्राइवेट पार्ट का उपयोग किसी दूसरे काम में करते हैं। लोगों का मानना है कि हिरणों के सींग से बनी शृंग भस्म से कई आसाध्य रोगों का इलाज किया जाता है। सींग को घिसकर जख्मों पर भी लगाया जाता है, माना जाता है कि हिरण के सींग जख्म पर लगाने से सूजन और दर्द में आराम मिलता है।
डीएफओ हरदा अंकित पांडे से मिली जानकारी के अनुसार कुल छह हिरणों की मौत हुई है। प्रथम दृष्टि लगता है कि दो का शिकार किया है बाकी को जहर दिया है। जहर शिकार से ध्यान हटाने के लिए दिया गया प्रतीत होता है। कुछ ग्रामीणों को भी पूछताछ के लिए रोका है। मछली पकड़ने के लिए तालाब में जहर डाला गया है या नहीं यह जांच में स्पष्ट होगा।
विस्तार
हरदा जिले के खिरकिया तहसील के नीमसराय गांव में छह काले हिरणों के शिकार का मामला सामने आया है। एक नर और एक मादा हिरण की मौत शुक्रवार को हुई जबकि बाकि के चार हिरणों ने शनिवार सुबह 9 से 12 बजे के बीच दम तोड़ दिया। मारे गए हिरणों में तीन नर और तीन मादा हिरण शामिल थे। बताया जा रहा है कि दो हिरणों के सींग और प्राइवेट पार्ट काटे गए थे, जिसके चलती उनकी मौत हो गई, वहीं चार हिरणों को जहर देकर मार दिया गया।
घटना गांव से करीब आधा किलोमीटर दूर गिट्टी खदान के पास की है। हिरणों के शव देर रात वन चौकी लालयाचापड़ भेजे गए हैं। रविवार को शवों का पीएम किया जाएगा। हिरणों के शव जिस जगह मिले हैं वहां एक छोटा सा तालाब है। अधिकारियों को तालाब के पानी में मछली पकड़ने के लिए जहर मिलाए जाने का शक है। माना जा रहा है कि इसी तालाब के पानी को पीने से हिरणों की मौत हुई है। इस मामले में फिलहाल गांव वालों से पूछताछ जारी है।
एक प्रत्यक्षदर्शी ओमप्रकाश विश्नोई ने बताया कि चार हिरणों ने उनकी आंखों के सामने ही दम तोड़ दिया, जबकि दो की मौत रात को हो गई थी। हिरण उनके सामने तड़प रहे थे, उन्होंने पानी पिलाया लेकिन हिरण की जान नहीं बची।
हिरण के शिकार को अंधविश्वास से भी जोड़कर देखा जा रहा है। कुछ लोग हिरणों का शिकार उनके सींग से दवाइयां बनाने और प्राइवेट पार्ट का उपयोग किसी दूसरे काम में करते हैं। लोगों का मानना है कि हिरणों के सींग से बनी शृंग भस्म से कई आसाध्य रोगों का इलाज किया जाता है। सींग को घिसकर जख्मों पर भी लगाया जाता है, माना जाता है कि हिरण के सींग जख्म पर लगाने से सूजन और दर्द में आराम मिलता है।
डीएफओ हरदा अंकित पांडे से मिली जानकारी के अनुसार कुल छह हिरणों की मौत हुई है। प्रथम दृष्टि लगता है कि दो का शिकार किया है बाकी को जहर दिया है। जहर शिकार से ध्यान हटाने के लिए दिया गया प्रतीत होता है। कुछ ग्रामीणों को भी पूछताछ के लिए रोका है। मछली पकड़ने के लिए तालाब में जहर डाला गया है या नहीं यह जांच में स्पष्ट होगा।