सरस्वती शिशु मंदिर में कल होगा सुवर्ण प्राशन संस्कार

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अनोखा तीर | हरदा- विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान की शिशुवाटिका परिषद द्वारा आयोजित स्वस्थ बालक स्वस्थ भारत अभियान के अंतर्गत देश भर में चयनित सरस्वती शिशु मन्दिरों में प्रत्येक माह में पुष्य नक्षत्र के दिन सुवर्ण प्राशन संस्कार व औषधि केंद्रों पर छोटे बच्चों का सुवर्ण प्राशन कराया जाता है। यह रोग प्रतिरोधक शक्ति वर्धक टॉनिक है जो एक साल से बारह साल की आयु के बच्चों को दिया जाता है। इससे बालक ओजस्वी,तेजस्वी यशस्वी, मेधावी व स्वस्थ बनता है। कल स्थानीय सरस्वती शिशु मंदिर के दोनों परिसरों बजाज शोरूम के सामने तथा गुलजार भवन के पास छोटे बच्चों का प्रतिमाह अनुसार सुवर्ण प्राशन संस्कार कराया जायेगा। उक्त जानकारी देते हुए शिशुवाटिका की जिला संयोजक श्रीमती बबीता सेवारिक ने अधिक से अधिक अभिभावकों से अपने छोटे बच्चों का सुवर्ण प्राशन संस्कार कराने का आग्रह किया है। श्रीमती सेवारिक ने छोटे बच्चों को सुवर्ण प्राशन की आवश्यकता और उससे होने वाले लाभकारी गुणों को बताया। काश्यप संहिता में सुवर्ण प्राशन के महत्व को रेखांकित किया गया है।
सुवर्णप्राशन हि एतत मेधाग्निबलवर्धनम् ।आयुष्यं मंगलमं पुण्यं वृष्यं ग्रहापहम् ॥मासात् परममेधावी क्याधिभिर्न च धृष्यते ।षडभिर्मासै:श्रुतधर: सुवर्णप्राशनाद् भवेत्अर्थात्,
सुवर्णप्राशन मेधा (बुद्धि), अग्नि ( पाचन अग्नि) और बल बढानेवाला है। यह आयुष्यप्रद,कल्याणकारक, पुण्यकारक, वृष्य, वर्ण्य (शरीर के वर्णको तेजस्वी बनाने वाला) और ग्रहपीडा को दूर करनेवाला है. सुवर्णप्राशन के नित्य सेवन से बालक एक मास में मेधायुक्त बनता है और बालक की भिन्न भिन्न रोगो से रक्षा होती है। वह छह मास में श्रुतधर (सुना हुआ सब याद रखनेवाला) बनता है, अर्थात उसकी स्मरणशक्त्ति अतिशय बढती है। सुवर्ण प्राशन के कई लाभ हैं सुवर्ण प्राशन प्रतिरक्षा शक्ति को बढ़ाता है और सामान्य संक्रमणों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित करता है, इस प्रकार बच्चों को बार-बार बीमार पड़ने से रोकता है।
यह बच्चों में शारीरिक शक्ति का निर्माण करता है और शारीरिक गतिविधियों को बढ़ाता है और उसी के लिए सहनशक्ति में भी सुधार करता है।सुवर्ण प्राशन की नियमित खुराक बच्चे की बुद्धि, समझने की शक्ति, कुशाग्रता, विश्लेषण शक्ति, स्मरण शक्ति को अनोखे तरीके से सुधारती है।यह पाचक अग्नि को प्रज्वलित करता है, पाचन में सुधार करता है और पेट से संबंधित शिकायतों को कम करता है।सुवर्णप्राशन बच्चे की भूख में भी सुधार करता है।यह प्रारंभिक शारीरिक और मानसिक विकास को पोषित करने में मदद करता है।यह बच्चों में एक अंतर्निहित मजबूत रक्षा तंत्र विकसित करता है, जो मौसमी परिवर्तन और अन्य प्रचलित संक्रमणों के कारण होने वाली बीमारियों और शिकायतों के खिलाफ सुरक्षा कवच के रूप में कार्य करता है। उल्लेखनीय है कि सरस्वती शिशु मंदिर में प्रतिमाह न्यूनतम शुल्क में छोटे बच्चों को यह औषधि दी जाती है।

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