गुग्गल खरीदी घोटाला
गणेश पांडे, भोपाल। लघु वनोपज संघ के एमएफपी पार्क बरखेड़ा पठानी में गुग्गल खरीदी घोटाले की जांच एक साल से लंबित है। 930 रुपये प्रति किलो की दर से मिलने वाला गुग्गल 1700 रुपये में खरीदा गया, जिससे संघ को 30.80 लाख रुपये का नुकसान हुआ। हैरानी की बात यह है कि इस मामले में घिरी सुनीता अहिरवार को दोबारा एमएफपी पार्क का प्रबंधक बनाने की प्रक्रिया तेज कर दी गई है।
जांच के निर्देश बेअसर
लघु वनोपज संघ के प्रबंध संचालक विभाष ठाकुर ने 31 जनवरी 2025 को पार्क की सीईओ गीतांजलि को पत्र लिखकर 7 दिन में जांच रिपोर्ट देने के निर्देश दिए थे, लेकिन एक महीने से ज्यादा समय बीतने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई। इससे पहले भी एमडी ठाकुर इस मामले में दो से अधिक पत्र भेज चुके हैं, लेकिन उन पर कोई अमल नहीं हुआ। गड़बड़ियों की जांच को लेकर निष्क्रियता इतनी अधिक है कि भंडारण जांच के लिए नियुक्त एसीएफ मणि शंकर मिश्र ने जब संबंधित दस्तावेजों की मांग की, तो उन्हें ही हटा दिया गया।
क्या है मामला?
एमएफपी पार्क की तत्कालीन प्रबंधक सुनीता अहिरवार ने गुग्गल, प्रष्टपर्णी, काली मिर्च, हींग और पुनर्नवा जैसी वन औषधियों की खरीद के लिए टेंडर जारी किया था। इस टेंडर में हरिद्वार स्थित हर्बल ऑटोमेशन ने गुग्गल के लिए 930 रुपये प्रति किलो का न्यूनतम रेट दिया था, लेकिन इसके बावजूद इस कंपनी से खरीदी नहीं की गई।
इसके बजाय, आर्यन फार्मेसी से 1700 रुपये प्रति किलो की दर पर 4000 किलो गुग्गल खरीदा गया, जिससे संघ को 30.80 लाख रुपये का अतिरिक्त भुगतान करना पड़ा। इस दौरान, न तो हर्बल ऑटोमेशन को वर्क ऑर्डर दिया गया और न ही किसी तरह का पत्राचार किया गया।
अन्य वित्तीय अनियमितताएं
सुनीता अहिरवार के कार्यकाल में 6 करोड़ रुपये की सरकारी सप्लाई में 3 करोड़ रुपये की रॉ मटेरियल खरीदी के भुगतान किए गए, जिनमें से 2 करोड़ रुपये के बिल अकेले आर्यन फार्मेसी को दिए गए। इसके अलावा, 30-35 लाख रुपये की मरम्मत के भुगतान भी किए गए हैं, जिन पर सवाल उठ रहे हैं।
जांच न होने पर उठ रहे सवाल
गुग्गल खरीदी घोटाले में शामिल अधिकारियों के खिलाफ अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। एमडी ठाकुर के निर्देशों की अनदेखी, जांच के नाम पर देरी और आरोपी को फिर से प्रबंधक बनाने की कोशिश व्यवस्था की निष्क्रियता पर गंभीर सवाल खड़े कर रही है। अब देखना होगा कि क्या इस वित्तीय अनियमितता की परतें खुलेंगी या फिर यह मामला भी फाइलों में ही दबा रहेगा।
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