पंचकोशी, आस्था और तीर्थ…
जलोदा नर्मदा तट पर स्थित है संत १००८ रतिराम बाबा की ३०० वर्ष प्राचीन समाधि
लोकेश जाट, हरदा। मां नर्मदा में श्रृद्धालुओं की आस्था और भक्ती को समेटे पंचकोशी यात्रा २४ फरवरी से प्रारंभ होने वाली है। जिसमे सैकड़ों भक्त मां नर्मदा की परिक्रमा करेंगे। देवास जिले के नेमावर से शुरू होने वाली पंचकोशी यात्रा हरदा जिले में प्रवेश कर पुन: नेमावर में पहुंच कर सम्पन्न होती है। इस यात्रा में कई श्रृद्धालू नंगेपैर यात्रा करते है। यात्रा के दौरान श्रृद्धालू कई घाटों से होकर गुजरेंगे, इसी बीच वह जलोदा स्थित नर्मदा घाट पर पहुंचकर ३०० वर्ष प्राचीन और आस्था का केन्द्र संत १००८ रतिराम बाबा द्वारा ली गई जीवीत समाधी का भी दर्शन लाभ लेंगे। बताया जाता है कि संत श्री गुरु महाराज ने यह समाधि बाल्यावस्था में जीवित ली थी। उन्होंने ही जलोदा को महान, पवत्रि और दिव्य तीर्थ घोषित किया था। बाल्यावस्था में आषाढ़ सुदी नवमी को ली गई समाधी के चार माह बाद मिति कार्तिक सुदी एकादशी को ब्रह्म मुहूर्त में बाबा की समाधि को भक्तों द्वारा खोला गया, बाबा का देदीप्यमान एक मुस्कुराता चेहरा देख भक्तों बाबा की जयघोष लगाई। संत रतिराम बाबा ने भक्तों को संबोधित कर आशीर्वाद दिया और उसी समय जीवित समाधि की घोषण करते हुए समाधि में लीन गए। तभी से जलोदा का यह नर्मदा घाट लोगों के लिए आस्था का केन्द्र बना हुआ है। महाराज श्री के समाधि लेने के पश्चात महाराज की गादी पर उनके भतीजे गणपतदास महाराज को विराजित किया गय। गणपतदास महाराज के ब्रह्मलीन होने के बाद उनके पुत्र श्रीभगवानदास महंत को गादीसीन किया गया। तभी से महंत परिवार की यह परंपरा चली आ रही है। वर्तमान में महंत परिवार की छटवी पीढ़ी अपना कर्तव्य निर्वहन कर रही है। जलोदा घाट क्षेत्र के श्रृद्धालुओं के लिए आस्था का केन्द्र बना हुआ है। यहां नर्मदा स्थान के लिए अमावस्या और पूर्णिमा पर सैकड़ों भक्त स्नान करने पहुंचते है। पंचकोशी यात्रा के दौरान घाट पर मेला सा लग जाता है। समाधि ट्रस्ट की और से प्रति वर्ष पंचकोशी यात्रियों को भोजन पैकेट वितरित किए जाते है।
चढ़ाए जाते है निशान, होता है भंडारा
सबसे पहले गुरु महाराज द्वारा टिमरनी के गदरे परिवार में चमत्कार दिया था उसके बाद परिवार द्वारा समाधि का निर्माण कराया गया और तभी से महंत गादी की प्रथा चली आ रही है। प्रतिवर्ष समाधि पर निशान चढ़ाए जाते है और भंडारे का आयोजन होता है। समाधि स्थल पर दूर- दूर से श्रद्धालु आते हैं यह स्थान भक्तों के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है। साथ ही इस स्थान पर एकमात्र प्राचिन श्रीहरिहरेश्वर शिव भगवान का मंदिर है।
पक्का पेड़ीघाट नहीं होने से श्रद्धालुओं को होती है परेशानी
जलोदा में हजारो पंच कोशी यात्रियों का आगमन होता है और कुछ यात्री संत श्री 1008 गुरु महाराज रतिराम बाबा समाधि परिसर में अथवा कुछ यात्री किनारे पर कुछ ग्राम में एक रात्रि विश्राम करके अपनी यात्रा को निरंतर करते है । जलोदा स्थित मां नर्मदा तट पर पक्का पेड़ीघाट नहीं होने से यहां पहुंचने वाले यात्रियों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है। ग्रामीणों और श्रृद्धालुओं की मांग है कि घाट पर पक्का पेड़ीघाट का निर्माण कराया जाए। जिससे श्रृद्धालूओं को कीचड़ का सामना ना करना पड़े और वह अपनी यात्रा सुगमता से जारी रख सके। साथ ही मठ समाधि को ज़िले की धार्मिक स्थल सूची जोड़ा जाए। जलोदा में पंचकोशी यात्रियों को ट्रस्ट द्वारा हजारो पैकेट भोजन भी वितरित किया जाता है। यात्री देवास जिले के उत्तर तट बिजलगांव से दक्षिण तट से यात्रा प्रारंभ कर हरदा जिले के जलोदा ग्राम में 24-25 फरवरी को पहुंचेंगे, लेकिन शासन प्रशासन ने पंचकोसी यात्रियों के लिए कोई पुख्ता इंतजाम नहीं किए हैं। हजारों पंचकोसी यात्रियों को ठहरने के लिए कोई उत्तम व्यवस्था नहीं है।
इनका कहना है…
सैकड़ों श्रृद्धालू हर साल पंचकोशी यात्रा पर निकलते हैं, लेकिन यात्रियों के लिए शासन-प्रशासन ने अच्छा मार्ग बनाकर नहीं दिया है। यात्रियों को कंकर-पत्थर, कीचड़ से ही गुजरना पड़ता है। कई यात्री नंगे पैर पैदल गुजरते हैं। ग्रामीणों ने कई बार इस समस्या से प्रशासन को अवगत कराया, सोशल मीडिया के माध्यम से बताया लेकिन आज भी कोई उचित व्यवस्था नहीं की है। इस बार भी कीचड़ भरे, ऊबड़-खाबड़ मार्ग से हजारों यात्री गुजरेंगे। हरदा जिले में गोंदागांव गंगेश्वरी से छीपानेर, लछोरा, शमसाबाद, जलोदा, गोयत, सुरजाना, मनोहरपुर, भमोरी और हंडिया तक मार्ग खराब है।
छोटू पटेल गुर्जर, ग्रामीण
जिले में एक ही श्री हरिहर भगवान का प्राचीन शिव मंदिर है, लेकिन यहां ठहरने के लिए उत्तम व्यवस्था नहीं है। पंचकोसी यात्री इधर-उधर लोगों के घरों में रात्रि विश्राम करते हैं। श्री गुरु रतिराम बाबा की जीवित समाधि को रख रखाव की जरूरत है। समाधि की पिचिंग दीवार बनाई जाए, जलोदा में नर्मदा तट पर अब तक कोई पक्का घाट नहीं बना है, जिस कार यात्रियों को परेशानी होती है।
– तरुण महंत
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