प्रेम, समर्पण, त्याग और तप का उत्सव करवा चौथ धूमधाम से मनायानितिन

दत्ता तामिया/छिंदवाड़ा। सात जन्मो का साथ निभाने का वादा करता और प्रेम का संदेश देते हुए करवा चौथ का चांद सुहागिनो के हर बार की तरह खास और यादगार रहा। पूरे देश में अब करवा चौथ व्रत पर्व धुमधाम से मनाया जाता है। वहीं अब करवा चौथ का व्रत सिर्फ परम्परा निभाने का त्योहार नही रह गया कि अब महिलाएं सजी पूजा की और पति के पानी पिलाने से व्रत पूरा हो गया, बल्कि अब महिलाएं समाज में बराबर का सम्मान प्राप्त कर चुकी है। यह सम्मान महिलाओं ने अपनी काबिलियत से हासिल किया है। माना जाता है संसार में सिर्फ पत्नी ही अपना पूरा अस्तित्व अपने पति में ढूंढती है सुहागिनो का सबसे बड़ा पर्व करवा चौथ रविवार शाम से रात्री तक मनाने की तैयारी है। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति को लंबी आयु, वैवाहिक जीवन और सुख समृद्धि के लिए निर्जला करवा चौथ व्रत किया। मान्यता है कि चंद्र दर्शन और अर्घ्य देने से पति की लंबी आयु औए सुख समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी में नगर में ब्लाको, कालोनी पंचायत प्रांगण, खेड़ापति माता मंदिर, यादव मुहल्ला, फारेस्ट कालोनी, इंदिरा कालोनी, पाटन रोड शिव मंदिर सहित अन्य स्थानो की अनेको महिलाओं ने अपने अखंड सौभाग्य अपने पति की लंबी तथा बेहतर स्वास्थ के लिए संकल्प के साथ व्रत रखा।सुबह से ही शुरु हो गई करवा चौथ व्रत की तैयारीभोरबेला में ही अपने पति की मंगलकामना के संकल्प के साथ स्नान के बाद पूजन को लेकर तैयारी शुरु हो गई। खेडापति माता मंदिर के सामने मुख्यमार्ग में करवा लेने व्रतधारियो की भीड रही। सुबह से निर्जला उपवास के साथ श्रृद्धालु महिलाओं ने पूजन की जमकर तैयारी की। कार्तिक कृष्ण पक्ष में करक चतुर्थी यानी करवाचौथ का लोकप्रिय व्रत सुहागिने अपने पति की मंगलकामना और दीर्घायु के लिए निर्जला रखती है। इस दिन चंद्रदेव के साथ साथ शिव पार्वती कार्तिकेय की पूजा धूमधाम से की गई। महाभारत काल से ही चलन में यह व्रत पौराणिक आख्यानो में सबसे पहले महाभारत में करवा चौथ का वर्णन पाया गया। जब एक बार अर्जुन देवताओं की आराधना के लिए नीलगिरी पर्वत की और चले गये तथा कई दिनों तक नहीं लौटे, तब द्रौपति ने चिंतित होकर भगवान श्रीकृष्ण के पास जाकर सहायता मांगी तब श्रीकृष्ण ने द्रौपति को करवा चौथ की विधि विधान से पूजन करने का परामर्श देने के साथ बताया था कि माता पार्वती को भी ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ा था, तब उन्होने भगवान शिव से याचना की थी भगवान शिव ने ऐसी समस्याओं तथा आशंकाओं को दूर करने के लिए स्त्रियो को कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी में व्रत करने का उपाय बताया था, यह वृतांत श्रीकृष्ण से सुनकर द्रौपति ने उसका पालन किया और अर्जुन कुछ दिनो बाद घर लौट आये थे। करवा चौथ के दिन विवाहित महिलाओं तथा कन्या के लिए गौरी पूजन का विशिष्ट लाभ मिलता है।

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