डी-नोटिफिकेशन के बाद चंबल अभ्यारण्य क्षेत्र में नहीं होगा रेत खनन

गणेश पांडे, भोपाल। राज्य सरकार द्वारा 31 जनवरी 2023 को मुरैना वनमंडल में स्थित राष्ट्रीय चम्बल अभ्यारण्य का 207.049 हेक्टेयर क्षेत्र स्थानीय निवासियों को उनकी आजीविका हेतु रेत आपूर्ति हेतु डिनोटिफाई किया गया था, परन्तु अब इस डिनोटिफिकेशन को निरस्त किया जाएगा। अब यह मामला राज्य शासन स्तर पर है, जहां वन मंत्री रामनिवास रावत से डिनोटिफिकेशन की सूचना निरस्त करने का प्रशासकीय अनुमोदन मांगा गया है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट एवं एनजीटी ने इस डिनोटिफिकेशन की प्रक्रिया को रह रहे घड़ियालों, डाल्फिन एवं कछुओं के रहवास के प्रतिकूल माना है। मप्र के स्टेट वाईल्ड लाईफ बोर्ड की 11 जून 2024 को हुई बैठक में यह प्रकरण आया था जिसमें निर्णय लिया गया था कि राष्ट्रीय चम्बल अभ्यारण्य के अंतर्गत स्थानीय लोगों की रेत आपूर्ति हेतु किए गए डिनोटिफाई क्षेत्र के संबंध में सुप्रीम कोर्ट एवं एनजीटी द्वारा रेत आपूर्ति के संबंध में चम्बल अभ्यारण्य की नदी में दिए गए निर्णय के परिप्रेक्ष्य में प्रस्ताव का पुन: परीक्षण कर आवश्यक कार्यवाही की जाए। इस पर राज्य के वन मुख्यालय की वन्यप्राणी शाखा ने प्रस्ताव का परीक्षण कर अब रिपोर्ट दी है कि डिनोटिफिकेशन की सूचना निरस्त किया जाए।

शुरु से ही हुई गड़बड़ीदर

असल स्थानीय लोगों को रेत की आपूर्ति हेतु हेतु 31 जनवरी 2023 को चम्बल नदी का 207.049 हेक्टेयर क्षेत्र डिनोटिफाई किया गया था। इसके बाद मुरैना डीएफओ ने आपत्ति ली कि डिनोटिफिकेशन क्षेत्र इको सेंसेटिव जोन में आता है, जहां रेत की आपूर्ति नदी से नहीं हो सकती है। इस पर इको सेंसेटिव जोन को खत्म करने का प्रस्ताव लाया गया परन्तु सुप्रीम कोर्ट एवं एनजीटी ने इस प्रक्रिया को गलत माना। अब डिनोटिफिकेशन निरस्त करने के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं बचा है।साल भर पहले एनजीटी ने भी दिया निर्देशनेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल एनजीटी ने राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के अधिकारियों को राष्ट्रीय चंबल अभ्यारण्य एनसीएस में अवैध खनन को नियंत्रित करने का निर्देश दिया है। साथ ही कोर्ट ने अधिकारियों से रेत खनन संबंधी दिशा-निर्देशों को भी लागू करने को कहा है। यह निर्देश न्यायमूर्ति शिव कुमार सिंह और न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी की पीठ ने दिया है। इस मामले में कोर्ट ने राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक, एसपीसीबी के साथ भिंड, मुरैना, ग्वालियर, आगरा, इटावा, झांसी, धौलपुर और भरतपुर के पुलिस अधीक्षक और जिला मजिस्ट्रेट से अवैध खनन को नियंत्रित करने, उस पर निगरानी रखने और तीन महीनों के भीतर इस मामले में क्या कार्रवाई की गई, उस पर रिपोर्ट सबमिट करने को कहा था किन्तु आज तक उत्तर प्रदेश राजस्थान और मध्य प्रदेश के डीजीपी ने अपनी रिपोर्ट सबमिट नहीं की।पूर्व नेता प्रतिपक्ष ने भी उठाया था मामलाकांग्रेस के कद्दावर नेता एवं पूर्व नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह ने भी चंबल अपहरण क्षेत्र में हो रहे रेत उत्खनन को लेकर एक अभियान चलाया था। डॉक्टर सिंह ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक को पत्र लिखा था पर उस पर कोई सुनवाई नहीं हुई। यहां तक कि डॉ.सिंह विधानसभा से लेकर सड़क तक जल जीवों की सुरक्षा को लेकर आवाज बुलंद किया था।

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