अनोखा तीर, मसनगांव। ग्रामीण क्षेत्रों में बरसों पुराने बने हुए शासकीय स्कूलों के भवन खंडहर होने से दुर्घटना की आशंका बनी हुई है। खाली पड़े इन भवनों में जहरीले जीव जंतुओं का डेरा बना हुआ रहता है, जिससे शाला में पढऩे आने वाले विद्यार्थीयों को खतर बना रहता है। संकुल अंतर्गत आने वाली शाला ऐड़ाबेड़ा, डंगावाशंकर, रेवापुर, केलनपुर, गांगला, नीम गांव में खंडहर भवन खड़े हुए हंै। जर्जर भवन होने से प्लास्टर और दीवारें गिर रही है। पास में ही नए भवन बने हुए हैं। जिनमें विद्यार्थी अध्ययन करते हैं, लेकिन छुट्टियों के दौरान इन खंडहर भवन के आसपास विद्यार्थियों के खेलने से दुर्घटना की संभावना बनी रहती है। जिसमें गांगला में स्थित बरसों पुराने भवन की दीवारें कई जगह से दरक चुकी हैं। ऐसे में कभी भी बढ़ी दुर्घटना हो सकती है। शासकीय स्कूल के प्रांगण में ही भवन स्थित है। जिसमें प्राथमिक एवं माध्यमिक शाला के विद्यार्थी अध्ययन करते हैं। इसी प्रकार ग्राम ऐडाबेड़ा, डंगावाशंकर केलनपुर, रेवापुर में भी खंडहर खड़े भवनों की हालत खराब बनी हुई है, जो कभी भी गिर सकते हैं। ग्रामीणों ने बताया कि इन जर्जर हुए भवन को तोडऩे के लिए शासन को कई मर्तबा पत्रों के माध्यम से सूचना दी गई, परन्तु सुनवाई न होने से हर दिन स्थिति और भी खराब होती जा रही है। खाली पड़े हुए इन भवनों में जहां जहरीले जीव जंतुओं का डेरा बना हुआ रहता है। वहीं असामाजिक तत्व कई बार अवैध गतिविधियों को अंजाम दे जाते हैं। स्कूल में पढऩे आने वाले विद्यार्थियों एवं शिक्षकों को परेशानी होती है, शासकीय स्कूल परिसर में खंडहर भवनों से जगह का भी आभाव बना हुआ है। इन खंडहर भवन को जमींदोज किया जाता है, तो किमती जगह निकल सकती है, जिसका उपयोग खेल मैदान के रूप में हो सकता है। वहीं अन्य कार्य के लिए भी जगह निकल सकती है। संकुल के जनशिक्षक देवेश्वर जाटव ने बताया कि संकुल के अंतर्गत आने वाली कई स्कूलों में भवन जर्जर होकर खंडहर बने हुए हैं, जिन्हें तोडऩे के लिए शिक्षा विभाग को लिखा है। प्रशासन के आदेश के बाद इन्हें जमींदोज किया जाएगा।