मध्य प्रदेश में अब राशन दुकानों के बाहर उन लोगों के नाम की लिस्ट लगेगी, जिन्होंने पिछले 6 महीने से राशन नहीं लिया है। इसके बाद भी इनमें से कोई राशन लेने नहीं आता है, तो नाम हटाकर दूसरे पात्र व्यक्ति का नाम शामिल किया जाएगा।
सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत मध्य प्रदेश में एक करोड़ 11 लाख परिवारों के पांच करोड़ व्यक्तियों को प्रतिमाह पांच किलोग्राम खाद्यान्न फ्री दिया जा रहा है। जो उपभोक्ता लगातार छह महीने से राशन नहीं ले रहे हैं, अब उनके नाम उचित मूल्य की राशन दुकान के बाहर चस्पा किए जाएंगे।
इसके बाद भी यदि उपभोक्ता नहीं आते हैं तो उनका नाम सूची से हटाने की कार्रवाई की जाएगी। इससे जो स्थान रिक्त होगा, उस पर दूसरे पात्र व्यक्ति का नाम शामिल किया जाएगा। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के अंतर्गत प्रदेश में प्रतिमाह गेहूं और चावल का वितरण किया जाता है। पात्रग्राही को ही राशन मिले, इसके लिए बायोमैट्रिक सत्यापन की व्यवस्था की गई है।
कई उपभोक्ता राशन लेने नहीं आते
कई उपभोक्ता प्रतिमाह राशन लेने नहीं आते हैं। जो खाद्यान्न शेष रहता है, उसे दुकान संचालक द्वारा सुरक्षित रखा जाता है, लेकिन यह देखने में आ रहा है कि कई उपभोक्ता छह-छह माह से खाद्यान्न लेने ही नहीं आ रहे हैं।
इन सभी के नाम अब दुकान के बाहर सूचना पटल पर चस्पा किए जाएंगे ताकि आसपास के लोग देखकर उन्हें बता सकें। इसके बाद भी वे खाद्यान्न लेने नहीं आते हैं, तो यह माना जाएगा कि वे खाद्यान्न नहीं लेना चाहते हैं। ऐसे लोगों के नाम काटकर अन्य पात्र लोगों के नाम सूची में शामिल कर उन्हें पात्रता पर्ची जारी की जाएगी।
मंत्री ने दिया निर्देश
इसके लिए खाद्य, नागरिक आपूर्ति मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि छह-छह माह तक खाद्यान्न नहीं लेने वाले उपभोक्ताओं को चिह्नित करें। यदि वे किसी कारण से नहीं आ पा रहे हैं, तो ठीक वर्ना उनके नाम सूची से हटा दिए जाएं।
फ्री में दिया जा रहा है खाद्यान्न
केंद्र सरकार प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के माध्यम से सार्वजनिक वितरण प्रणाली के उपभोक्ताओं को कोरोना महामारी के समय से फ्री खाद्यान्न उपलब्ध करा रही है। यह व्यवस्था आगे भी जारी रखने का निर्णय लिया गया है। पहले राज्य सरकार अन्नपूर्णा योजना के अंतर्गत एक रुपये प्रति किलोग्राम की दर से गेहूं और चावल उपलब्ध कराती थी।