कब मिलेंगे जिलों को प्रभारी मंत्री

 

अनोखा तीर, हरदा। प्रदेश में डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व वाली सरकार के गठन को लगभग ६ माह से अधिक का समय बीत गया है। लेकिन अभी तक मंत्रियों को जिलों के प्रभार आवंटित नहीं हो पाए है। वर्तमान में प्रदेश सरकार द्वारा तबादलों पर लगाए गए प्रतिबंध हटाने की कवायद की जा रही है। माना जा रहा है कि मानसून सत्र के पश्चात जिला स्तर पर भी लगभग सभी विभागों में तबादले किए जाना है। वैसे तो प्रतिवर्ष १५ मई से तबादलों पर प्रतिबंध हटाया जाकर नए शैक्षणिक सत्र प्रारंभ होने से पहले जिला स्तर के तबादले भी निपटा दिए जाते है, लेकिन इस बार लोकसभा चुनाव की आचार संहिता के चलते ऐसा नहीं हो पाया। बहरहाल आचार संहिता हटे को भी लगभग दो सप्ताह होने जा रहा है, लेकिन ना तो अभी तक तबादलों से प्रतिबंध हटाए गए है और ना ही मंत्रियों को जिलों का प्रभार सौंपा गया है। वैसे मुख्यमंत्री मोहन यादव कह चुके है कि १५ अगस्त के ध्वजारोहण से पहले मंत्रियों को जिलों का प्रभार सौंप दिया जाएगा। लेकिन इससे पहले जिला स्तर पर होने वाले तबादलों में प्रभार मंत्रियों का अनुमोदन भी आवश्यक होता है। अगर सरकार द्वारा तबादलों से प्रतिबंध हटाया जाता है तो ऐसी स्थिति में बगैर प्रभारी मंत्री के क्या जिले के विभागाधिकारी ही अपनी मनमर्जी से तबादले करेंगे? जबकि स्वयं मुख्यमंत्री यह बात भी कह चुके है कि जिला स्तर पर होने वाले तबादलों में क्षेत्रीय विधायक, सांसद तथा संगठन प्रमुख की सहमति भी ली जाएगी। उल्लेखनीय है कि जिलों में प्रभारी मंत्री के रहने पर जहां स्थानीय जनप्रतिनिधि और पार्टी कार्यकर्ता सीधे तौर पर मैदानी कर्मचारियों के प्रति अपनी राय बेबाकी से रख सकते है वहीं जिले में चलने वाले अन्य विकास कार्यों की हकीकत से भी वह सीधे तौर पर मंत्री को अवगत करा सकते है। सहज भाषा में कहा जाए तो प्रभारी मंत्री जिले की जनता और सरकार के बीच महत्वपूर्ण सेतु का कार्य करते है। आम जनता अपनी छोटी-मोटी समस्या और आवश्यकता के लिए सीधे तौर पर प्रभारी मंत्री से संपर्क कर उसका समाधान करा सकती है। लेकिन प्रभारी मंत्रियों की नियुक्ति नहीं होने के कारण जहां एक ओर विकास कार्यों की सतत् समीक्षा को लेकर जनप्रतिनिधियों के साथ प्रशासन की कोई बैठकें आयोजित नहीं हो पा रही है तो वहीं दूसरी ओर जनता को भी अपनी समस्याओं के लिए राजधानी भोपाल पहुंचकर विभिन्न मंत्रियों के बंगलों के चक्कर काटना पड़ रहा है। राजधानी के गलियारों से आने वाली खबरों के अनुसार सरकार पहले प्रदेश स्तर के वरिष्ठ अधिकारियों की तबादला सूची तैयार करने में जुटी हुई है। तत्पश्चात जिला स्तर पर तबादलों के लिए १५ दिन की मोहलत दिए जाने की भी खबरें छनकर आ रही है। क्या मोहन सरकार तबादलों से प्रतिबंध हटाने से पहले मंत्रियों को जिलों का आवंटन करती है या जिला अधिकारियों को ही इसके लिए स्वतंत्र अधिकार प्रदान करेगी?

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