अनोखा तीर जबलपुर:-लोकसभा के पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को होना है। यहां बता दे कि प्रत्याशियों के अलावा निर्वाचन आयोग एक और विकल्प मतदाता को देता है वो है नोटा। यानि इनमें से कोई नहीं। जब कोई मतदाता उम्मीदवार के पक्ष में मतदान नहीं करना चाहता है तो उसके लिए उपरोक्त में से कोई नहीं या नन आफ दी अबव का बटन का विकल्प चुन सकता है। नोटा का बटन दबाने पर किसी भी उम्मीदवार के पक्ष में मत दर्ज नहीं होता है। चुनाव आयोग ने साफ किया है कि यदि नोटा के मत प्रत्याशियों की तुलना में सबसे अधिक है तो अन्य उम्मीदवारों के बीच जिस उम्मीदवार को अधिक वोट मिलेगा उसे निर्वाचित घोषित माना जाएगा।
प्रत्याशियों के अलावा एक और विकल्प देता है वो है नोटा, यानि इनमें से कोई नहीं
बता दें कि जबलपुर लोकसभा चुनाव 2019 में 4102 मतदाताओं ने नोटा का विकल्प चुना था हालांकि कुल डाले गए मत प्रतिशत का महज 0.23 प्रतिशत ही रहा। इसी तरह 2023 के विधानसभा चुनाव जो महज पांच माह पहले ही हुए थे इसमें आठ विधानसभा क्षेत्रों में 12845 मतादाताओं ने नोटा का विकल्प चुना था। सबसे ज्यादा सिहोरा विधानसभा में 3020 मतदाताओं ने नोटा दबाया था। दरअसल,उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के अनुसार निर्वाचन आयोग द्वारा वोटिंग मशीन में नोटा का भी बटन लगाया जाता है। नोटा का बटन चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों के बाद सबसे आखिरी में होता है।
इस बटन का उपयोग करने वाले मतदाताओं की गोपनीयता भंग नहीं की जाएगी
यदि कोई मतदाता मतदान केन्द्र में अपना मत किसी भी उम्मीदवार के पक्ष में नहीं देना चाहता है, तो उसके लिए उपरोक्त में से कोई नहीं या नन आफ दी अबव (नोटा) का बटन का विकल्प होता है। इस बटन का उपयोग करने वाले मतदाताओं की गोपनीयता भंग नहीं की जाएगी। इस बटन को दबाने वाले मतदाता का आशय होता है कि उसके क्षेत्र के प्रत्याशियों में किसी को भी वह पसंद नहीं करता इसलिए वोट नहीं दे रहा। मतगणना के वक्त नोटा में दर्ज मत अलग से प्रदर्शित किए जाते हैं।