अनोखा तीर, मसनगांव। जल संसाधन विभाग के द्वारा प्रतिवर्ष ग्रीष्मकालीन मूंग की फसल के लिए नहर में पानी छोड़ा जाता है, लेकिन इसका फायदा कुछ किसानों को ही मिलता है। जिससे क्षेत्र के अधिकांश किसान मूंग की फसल से वंचित रह जाते हैं। इसे लेकर ग्रामीणों द्वारा आगामी लोकसभा चुनाव का बहिष्कार करने का निर्णय लिया गया। स्थानीय राधाकृष्ण मंदिर में ग्रामीणों द्वारा एक बैठक का आयोजन किया गया। जिसमें सभी की सहमति से आगामी चुनाव में वोट न डालने पर चर्चा की गई। ग्रामीण पवन भायरे, सतीश पाटिल, बाजूलाल छलोत्रे, योगेश पाटिल, सफी सेठ एवं सभी ग्रामवासियों ने मंदिर में एकत्रित होकर चुनाव बहिष्कार की बात कही। ग्रामीणों का कहना है कि जल संसाधन विभाग के द्वारा टेल क्षेत्र की हमेशा उपेक्षा की जाती रही है। जन प्रतिनिधियों एवं जिले के अधिकारियों से हर वर्ष मांग नहर में पानी पहुंचाने को लेकर मांग की जाती है। लेकिन सुनवाई नही होने से क्षेत्र के ग्रामीणों की उपेक्षा हो रही है। इसे लेकर ग्रामीणों द्वारा चुनाव बहिष्कार किया जाएगा।
नदी-नालों पर अश्रित हुए किसान
पिछले कुछ वर्षों से जल संसाधन विभाग ग्रीष्मकालीन फसल के लिए नहर में पानी छोड़ता है। जिसके लिए विभाग पानी को बचाने के प्रयास में रवि सीजन में भी पानी उपलब्ध नहीं कर पाता। जिसमें पहदगांव शाखा से नीचे के किसानों को पानी के लिए मशक्कत करना पड़ती है। अधिकारी कर्मचारियों के सामने हाथ फैलाना पड़ता है, तब कहीं जैसे तैसे पानी आता है। तब तक फसलों में पानी देने का समय निकल जाता है, जिससे उत्पादन प्रभावित होता है। किसानों का कहना है कि विभाग द्वारा मूंग की फसल में पानी देने के लिए निचले क्षेत्र के किसानों पर हमेशा दबाव की राजनीति की जाती है। जिससे रबी सीजन की फसल भी मात खा जाती है। वहीं मूंग की फसल का लाभ भी नहीं मिलता। नहर में जिस प्रकार पानी की व्यवस्था बनाई जा रही है, उससे स्टेट हाईवे के नीचे के खेतों में पानी बड़ी मुश्किल से पहुंचता है। अधिकांश किसानों ने नदी नालों से सिंचाई करने के लिए हजारों फीट की पाइपलाइन दबा रखी है, जिन्हें बिजली विभाग से पंप चलाने के लिए अतिरिक्त राशि देना पड़ती है।
नदी नालो में बहता है नहर का पानी
तवा डैम के अंतिम छोर पर होने से सोनतलाई तथा रेवापुर सब डिवीजन में नहर का पानी नदी नालों में बहता है। रबी सीजन में यह पानी नहर में आते ही नदी नालों में आ जाता है, लेकिन मूंग की फसल में छोड़े जाने वाला पानी छोड़ने के 15 दिन बाद नदी में आता है, जिससे बुवाई का समय निकल जाता है तथा 15 दिन पहले ही आना बंद हो जाता है जिससे क्षेत्र के लोगों को मूंग की फसल में नदी नालों के पानी का लाभ नहीं मिल पाता। जिन किसानों के खेतों में ट्यूबवेल तथा तालाब बने हुए हैं, वहीं किसान मूंग की फसल ले पाते हैं। अधिकांश किसान मूंग की फसल बोने से वंचित रह जाते हैं, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति पिछड़ी हुई है।
नहीं डालेंगे वोट
नहर में पानी की समस्या को लेकर किसान तथा ग्रामीण लोकसभा चुनाव में अपने मत का उपयोग नहीं करेंगे। ग्रामीणों के द्वारा इस वर्ष चुनाव का बहिष्कार किया जाएगा। ग्राम में दो बुथ पर मतदान होता है। जिसमें 1725 मतदाता अपने मत का प्रयोग कर जनप्रतिनिधि का चयन करते हैं। लेकिन इस वर्ष दोनों ही बूथो पर मतदान का बहिष्कार होने से स्थिति अलग हो सकती है।
दूसरे गांव के ग्रामीण भी कर सकते हैं चुनाव का बहिष्कार
जल संसाधन विभाग के द्वारा ग्रीष्मकालीन मूंग की फसल के लिए जो पानी छोड़ा गया है। उसमें संताली सब डिवीजन में रकवा कम कर दिया गया है। इसके लिए विभाग द्वारा अंतिम छोर पर लाल झंडी लगा दी गई है, जिससे कि निचले क्षेत्र के किसान फसल की बुवाई ना कर सके। विभाग के द्वारा पिछले वर्ष 5 हजार हेक्टेयर में पानी देने का ऐलान किया गया था, लेकिन इस वर्ष घटकर 2663 हेक्टेयर में पानी देने का निर्णय लिया है। जिससे झांझरी शाखा से नीचे के किसानों को पानी नहीं मिल सकेगा।
इनका कहना है…
विभाग के द्वारा ऊपरी क्षेत्र के किसानों को पानी दिया जा रहा है। नीचे पानी नहीं पहुंचने से अधिकांश किसान को रबी तथा ग्रीष्मकालीन मूंग की फसल का लाभ नहीं मिलता, जिससे चुनाव का बहिष्कार किया जाएगा।
पवन भायरे, किसान मसनगांव
विभाग को किसानों के साथ भेदभाव न कर सभी को पानी उपलब्ध कराना चाहिए, जिससे किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार हो सके।
नवीन भायरे, किसान मसनगांव
जल संसाधन विभाग को सोनतलाई सब डिवीजन में पहदगांव शाखा के पास खमलाय की ओर जाने वाली शाखा में दो फीट का पानी पाइप दबाकर पानी की व्यवस्था बनानी चाहिए। क्षेत्र के किसानों को दोनों ही सीजन में पानी नहीं मिलता, जिससे वह फसल उत्पादन का लाभ नहीं ले पाते हैं।
कमलेश बांके, किसान मसनगांव
Views Today: 2
Total Views: 38