अनोखा तीर, हरदा। क्षेत्र में रबी सीजन की प्रमुख गेहूॅ और चना की फसल का कटाई कार्य अंतिम चरण में है। एक दिन पहले जिला जल उपयोगतिा समिति की बैठक में अधिकारी, जनप्रतिनिधी तथा नहर संस्थाओं के प्रतिनिधियों की मौजूदगी में आगामी 18 मार्च को तवा डेम से नहर में पानी छोड़ने के विषय पर विस्तार से चर्चा की। वहीं पानी की कुल आवश्यकता के अलावा समय का विशेष ध्यान रखे जाने की बात पर जोर दिया गया, ताकि जिले की सीमा में 20 मार्च को पानी की आमद दर्ज हो सके। इस मुद्दे पर सभी ने सहमति जताई है। इसी के साथ नहर से लगे रकबों में कटाई कार्य ने रफ्तार पकड़ ली है। वहीं जिन खेतों में फसल कटाई का कार्य पूूरा हो चुका है, वहां दिन रात ट्रेकटर दौड़ रहे हैं। इसकी मुख्य वजह खेत को मूंग बुआई के लिये चुस्त-दुरूस्त करना है। इसी कड़ी में नजदीकी मंडियों में गेहूॅ और चना की आवक में लगातार इजाफा हो रहा है। क्योंकि, किसानों को ग्रीष्मकालीन मूंग की बुआई से पहले खेत की जुताई तथा खाद-बीज का इंतजाम सुनिश्चित करने में जुटे हैं। यही कारण है कि मंडी के साथ साथ खाद-बीज की दुकानों पर किसानों की चहलकदमी बढ़ी है।
अब अंतिम 15 दिनों का चैत
किसानों के मुताबिक 15 नवम्बर या उसके बाद बोई गई फसलों में थोड़ी कसर है। लेकिन दिन के तापमान को देखकर कह सकते है कि अगले एक-दो सप्ताह में कटाई कार्य संपन्न हो जाएगा। वहीं सबसे महत्वपूर्ण दुधारू मवेशियों के लिये मशीन से भूस भी बनवाना है।
चारों तरफ दिखेगी हरियाली
किसानों ने यह भी बताया कि कटाई के साथ साथ खेत बनाने की कवायद व मूंग का बुआई कार्य जारी है। बुआई की यही रफ्तार रही तो अगले सप्ताह क्षेत्र में चारों तरफ हरियाली नजर आने लगेगी। नहर सिंचाईं से जुड़ा रकबा भी जल्द मूंग बुआई के लिये तैयार होगा।
साधन-संसाधनों का निरंतर विस्तार
क्षेत्र में विगत कुछ सालों से ग्रीष्मकालीन मूंग का रकबा साल दर साल बढ़ रहा है। इसका मुख्य कारण शासन द्वारा सिंचाईं के लिये पानी मुहैया कराने के साथ ही मूंग का भाव अच्छा खासा होना है। वहीं सबसे अहम बात यह कि महज दो महिने की उम्र रखने वाली मूंग की फसल किसानों के लिये फायदे का सौदा साबित हो रही है, जो कि उनकी आर्थिक संपन्नता की राह है। इसी कड़ी में बीतें कुछ सालों से क्षेत्र में कृषि साधन एवं संसाधनों का तेजी से विस्तार हो रहा है। नहर से लगे रकबो में जहां टयूबवेल खान कर पर्याप्त पानी या यूं कहें कि वैकल्पिक इंतजाम सुनिश्चित किया गया है। इसके अलावा निजी जलस्त्रोत पर निर्भर किसानों ने अपने-अपने खेतों को सुविधाओं से लैस कर दिया है। जानकारी के अनुसार विगत तीन साल में टयूबवेल, अंडरग्राउंड पाइप लाइन, निजी ट्रांसफार्मर , पहुंच मार्ग , तार फेंसिग समेत अन्य महत्वपूर्ण कार्यो को मूर्तरूप दिया है, जो किसान एवं किसानी के कार्यो को ओर अधिक सरल बना रहा है। किसानों के मुताबिक तीसरी ग्रीष्मकालीन मूंग के साथ साथ क्षेत्र का किसान सिंचाईं के मामले में पूरी तरह आत्मनिर्भर बन सकेंगे।
इन वैरायटियों पर दांव…
– डबल तलवार
– स्टार 444 / 448
– वंशी गोल्ड
– शिखा ४१०
– पीडीएम 139
– हम – 12 व 16
– एमएच – 421
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