अनोखा तीर, हरदा। स्वामी विवेकानंद शासकीय महाविद्यालय हरदा की राष्ट्रीय सेवा योजना के विशेष शिविर के तीसरे दिन विद्यार्थियों द्वारा नगर में प्रभात फेरी के बाद योगाभ्यास एवं प्राणायाम किया गया। तत्पश्चात विद्यार्थियों ने गोदग्राम खिड़कीवाला में मतदाता जागरूकता अभियान के लिए मतदाता जागरूकता रैली और गांव के मंदिर के पास मतदाता जागरूकता नुक्कड़ नाटक का अभिनय किया, जिसमें ग्रामवासियों की बड़ी संख्या उपस्थिति रही। आज के बौद्धिक सत्र का शुभारंभ करते हुए राष्ट्रीय सेवा योजना की छात्रा इकाई प्रभारी डॉ.रश्मि सिंह ने अतिथियों का स्वागत किया और उन्हें राष्ट्रीय सेवा योजना द्वारा गांवों में शिविर लगाए जाने के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। आज मुख्य अतिथि के रूप में सोनतलाई के प्राचार्य संतोष यादव और विशिष्ट अतिथि के रूप में ग्राम पंचायत खिड़कीवाला के सचिव सुमेरसिंह सोलंकी उपस्थित रहे। श्री सोलंकी ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि आज विद्यार्थियों में व्यक्तित्व विकास के लिए बाल सभा जैसे कार्यक्रमों का पुन: संचालन किया जाना अति आवश्यक है, जिससे विद्यार्थियों में अपने भावों को अभिव्यक्त करने में झिझक न रहे। अगली कड़ी में बोलते हुए मुख्य अतिथि श्री यादव ने कहा कि आज शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता और रोजगार की महती आवश्यकता है, किंतु इन सभी का योगदान व्यक्ति समाज और राष्ट्र के लिए सकारात्मक रूप में होना चाहिए जिससे कि विद्यार्थी राष्ट्र के निर्माण में अपना अमूल्य सहयोग प्रदान कर सके, उन्होंने विद्यार्थियों को दर्शन और भारतीय शिक्षा नीति के आधारभूत सिद्धांत वार्ता, दंडनीति, आन्वीक्षकी और त्रयी के संबंध में विस्तार से बताया। साथ ही कहा कि भारतीय प्राचीन शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से प्रशासन से मुक्त गुरुकुल पद्धति पर आधारित थी इसीलिए भारत विश्व गुरु था। कार्यक्रम के अंत में राष्ट्रीय सेवा योजना छात्र इकाई प्रभारी डॉ.सीपी गुप्ता ने सभी अतिथियों, सहकर्मियों और शिविरार्थियों का आभार व्यक्त किया और कहा कि आज शिक्षा में निरंतर नैतिक मूल्यों का ह्रास हो रहा है, साथ ही विद्यार्थी नौकरी के लिए भाग रहा है वास्तव में भारत उत्तम खेती, मध्यम व्यापार, निकृष्ट चाकरी भीख निदान जैसे सिद्धांतों पर अनादिकाल से चल रहा है, तभी भारत अतीत में विश्व गुरु और सोने की चिड़िया था क्योंकि भारतीय गुरुकुल पद्धत में उत्पादन और जीवन की विभिन्न 64 कलाओं की शिक्षा प्रदान की जाती थी, किंतु लॉर्ड मैकाले ने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के लिए उत्तम नौकर उपलब्ध कराने के लिए नौकरी की महत्ता को स्थापित किया। जिसके पीछे आज भी भारत का युवा भाग रहा है, जबकि उसे यदि भारत का भाग्य विधाता और भारत को विश्व शक्ति बनाना है तो उसे उत्पादक बनना होगा, जिससे वह दूसरों को भी रोजगार उपलब्ध करा सके।
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