मदद के लिए मंथन…. पीड़ित परिवारों के हितार्थ ठोस पहल जरूरी

मुख्यालय पर पटाका फैक्ट्री में भीषण हादसे की आंच सहज में ठंडी नही हो पाएगी। इसका दर्द रह-रहकर हादसे की याद दिलाएगी। वहीं हादसे के कारण बेपटरी हुई जिंदगानियों को फिर मुख्यधारा से जोड़ना चुनौती के समान है। जिससे पार पाने के लिए प्रभावित लोग भरसक प्रयास कर रहे हैं। शासन-प्रशासन मदद की मुद्रा में खड़ा है। इन सबके बीच हादसे के करीब सवा महिने बाद जमीनी स्तर पर कार्य करने वाली संस्थाओं के सदस्यों ने प्रभावित मजदूर परिवारों के लिए आगे आने की रूपरेखा तैयार की है।

 

अनोखा तीर, हरदा। मुख्यालय स्थित मगरधा रोड पर राजेश अग्रवाल की पटाका फैक्ट्री में भयाभय विस्फोट के बाद बेपटरी हुई जिंदगानियों के लिए जहां शासन-प्रशासन विभिन्न मदों से सहायता उपलब्ध कराने के साथ साथ आगे ओर भी मदद मुहैया कराने का भरोसा जता चुकी है। वहीं विभिन्न संस्थाओं के अलावा समाजसेवियों ने आगे आकर पीड़ितों को बुनियादी सुविधा जैसे गृहस्थी के अलावा अन्य जरूरी सामान उपलब्ध कराया है। इसी दिशा में हादसे के करीब सवा महिने बाद रविवार को महाड़ संस्था के कार्यालय में सक्रिय संगठन के प्रतिनिधियों की बैठक हुई। इस मौके पर फटाका फैक्ट्री हादसे के संबंध में विस्तार से बातचीत की। पलायन स्रोत केंद्र से जुड़े सुन्दर सिंह ने कहा कि आबादी क्षेत्र में भीषण हादसे की चपेट में आकर कई लोग गंभीर रूप से घायल हुए। जबकि कई लोगों के आशियां तबाह हो गए। पीड़ित परिवारों में मजदूर वर्ग शामिल है। जिन्हें शासन-प्रशासन के अलावा स्थानीय समाजसेवी संगठन, व्यापारी तथा गणमान्यजन मदद को तत्पर रहे। प्रशासन भी पीड़ियों के हितार्थ हरसंभव प्रयास में जुटा है, जो उनकी संवेदनशीलता को दर्शाता है। परंतु , इन सबके बीच अब भी पीड़ित खासकर मजदूर परिवार के लोगों के लिए ठोस पहल जरूरी है, जो कि उनके रोजगार अथवा स्वरोजगार की ओर इशारा करता है। इससे मजदूर परिवार के सदस्यों की जिंदगी फिर पटरी पर लौटाने में सहायक रहेगा। इसके लिए सार्थक एवं संयुक्त प्रयासों की दरकार है। बैठक में संस्थाओं के अन्य प्रतिनिधियों ने भी अपनी-अपनी बात को रखा। वहीं इस पाइंट पर फोकस रखा कि पीड़ित परिवारों की संख्या, नुकसान और उनकी आवश्यकता का वास्तविक आंकलन जरूरी है। इसके लिए संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने अपने स्तर पर जानकारी जुटाने की सहमति दर्ज की। बैठक में महाड़ सामाजिक न्याय एवं विकास संस्था के सुन्दर सिंह खडसे, एडवोकेट ज्योति दमाडे, सिनर्जी संस्थान से रवि राजपूत, शैडो संस्था से मधुर भारद्वाज, समावेश संस्था से अशोक केवट, कला संवाद से अकरम खान सहित अन्य संस्थाओं के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।

 

इन बिन्दूओं पर चर्चा…

– बेरोजगार हुआ परिवार को मुख्य धारा से जोड़ना

– पाड़ितों को लंबे समय तक सहायता की जरूरत

– प्रभावितों के लिये पीड़ित परिवार राहत कोष

चर्चा का केन्द्र यह बिन्दू …

– जिले में ऐसी कितनी इकाईयां हैं, जहां आगजनी समेत अन्य हादसों की संभावना

– ऐसे कार्यस्थलों पर पर्याप्त जगह के अलावा अनुमति तथा आवश्यक इंतजामों की पड़ताल

– मजदूरों का पंजीयन तथा प्राय सुविधाएं जैसे सुरक्षा उपकरण आदि की समीक्षा

– ऐसे कार्यो में संलग्न मजदूरों को शासन की ओर से निर्धारित सुविधाओं पर चर्चा

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