अनोखा तीर भोपाल:-भोपाल के हमीदिया और जबलपुर के अस्पतालों के बाद सतपुड़ा भवन की लगी भीषण आग की घटनाओं के बाद फायर सेफ्टी को लेकर एसओपी (स्टेंडर्ड आपरेटिंग प्रोसीजर) जारी की गई थी। प्रदेशभर में सभी बहुमंजिला इमारतों का फायर आडिट कराया गया था, लेकिन चौंकाने वाली बात है शासन ही इसे भूल गया और इसका पालन ही नहीं हुआ।
एसओपी के अनुसार आग बुझाने के इंतजाम होते तो मंत्रालय के पुराने भवन में लगी आग पर समय रहते काबू पा लिया जाता। बताया जा रहा है कि भवन में आग बुझाने को लेकर कोई व्यवस्था नहीं थी और फायर सेफ्टी किट भी एक्सपायरी डेट की थी। वल्लभ भवन के पांचवें तल पर कबाड़ रखा हुआ था। मंत्रालय वल्लभ भवन का फायर आडिट भी कराया गया था। इधर राजधानी परियोजना प्रशासन के बंद होने के बाद बदली व्यवस्था के चलते भी इस तरह की लापरवाही देखने को मिल रही है।
अस्पतालों में आग से वृद्ध, बच्चों सहित 25 से अधिक मरीज गवां चुके हैं जान
मप्र के कई बड़े अस्पतालों में भी आग लग चुकी है, इनमें बच्चे, वृद्ध सहित 25 से अधिक मरीज अपनी जान गवां चुके हैं। दिसंबर 2020 में शिवपुरी जिला अस्पताल में आग लगने से एक मरीज की मौत हो गई थी। नवंबर 2021 में भोपाल के कमला नेहरू चिल्ड्रन अस्पताल में आठ से अधिक बच्चे जलकर मारे गए थे।
जून 2021 में खरगोन जिला अस्पताल के आईसीयू में आग लगी थी। मई 2021 में अशोकनगर जिला अस्पताल में आग लगी थी। जनवरी 2022 में इंदौर के मेदांता अस्पताल के आईसीयू में आग लगी थी, हालांकि कोई जनहानि नहीं हुई। अगस्त 2022 में जबलपुर के न्यू लाइफ मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल में भीषण आग से 10 लोगों की मौत हो गई थी।
केवल निजी भवन एवं अस्पतालों के लिए फायर एनओसी अनिवार्य
वर्ष 2022 में फायर एनओसी देने के नए नियम बनाए गए थे। जिसमें प्रोविजनल एनओसी देने पर रोक लगा दी गई थी और नई प्रक्रिया के तहत नियम अनुसार आवेदन करने पर ही एनओसी देने की व्यवस्था की गई थी। अस्पताल खोलने या पुराने के नवीनीकरण के लिए 12 दस्तावेज मांगे जाते है। इनमें फायर एनओसी सख्ती से अनिवार्य की गई है। ई-नगर पालिका पोर्टल पर एनओसी देने की व्यवस्था की गई है, लेकिन मंत्रालय, सतपुड़ा और विंध्याचल भवन में फायर एनओसी को लेकर कोई पालन नहीं किया गया। बहुमंजिला इमारतों के लिए भी यही प्रक्रिया है।
फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट देने के लिए शुल्क निर्धारण भी हुआ
फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट देने के लिए नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने शुल्क निर्धारण भी किया हुआ है। आवासीय तथा शैक्षणिक भवन के लिए दो हजार रुपये प्रथम 500 वर्ग मीटर के निर्मित क्षेत्र के लिए तथा 500 वर्ग मीटर से अधिक निर्मित क्षेत्रफल के लिए दो रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से शुल्क है। अन्य भवनों के लिए पांच हजार रुपये प्रथम 500 वर्ग मीटर के निर्मित क्षेत्र के लिए तथा 500 वर्ग मीटर से अधिक निर्मित क्षेत्रफल के लिए पांच रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से शुल्क देना होगा। प्रत्येक वित्तीय वर्ष में 30 जून तक निर्धारित प्रपत्र में अग्निशमन ऑडिट रिपोर्ट, अग्निशमन प्राधिकारी को प्रस्तुत करनी होगी।
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