एडिशनल डीसीपी को भारी पड़ी लेटलतीफी

अनोखा तीर इंदौर:-जोन-3 के एडिशनल डीसीपी रामस्नेही मिश्रा को लेटलतीफी भारी पड़ गई। पुलिस आयुक्त राकेश गुप्ता ने मिश्रा को जंगलों में रवाना कर दिया। पांच दिन गांव-जंगलों की खाक छानना पड़ गई। मिश्रा लंदन विलाज में आइओसी के मैनेजर पुष्पेंद्रसिंह के घर में डकैती होने के छह घंटे बाद पहुंचे थे। इधर-उधर घूमने के बाद मिश्रा ने आयुक्त को फोन लगाकर कहा कि ‘सर क्षेत्र में बड़ी घटना घटी है’। आयुक्त घंटों पहले जानकारी ले चुके थे और जोन-3 के डीसीपी पंकज पांडे के संपर्क मे भी थे। आयुक्त ने तुरंत फोन काटा और आदेश दिया कि डकैतों की कार सरदारपुर की तरफ गई है। मिश्रा तत्काल टीम लेकर रवाना हो। जब तक डकैत पकड़े न जाएं क्षेत्र में कैंप करें। आयुक्त से मिले निर्देशों के कुछ ही देर बाद मिश्रा ने घटना के सीसीटीवी फुटेज इंटरनेट मीडिया पर बहुप्रसारित कर दिए।

डीसीपी के राडार पर टीआइ के ‘अंगद’
वर्षों से एक ही थाने में जमे पुलिसकर्मी डीसीपी के राडार पर हैं। थाना प्रभारी की चाकरी में लगे इन अंगदों की एक-एक कर रवानगी कर रहे हैं। जोन-2 के खजराना और कनाड़िया से चार पुलिसकर्मियों का तबादला हुआ तो कानाफूसी शुरू हो गई। पूर्व में आए अफसर चाहते हुए भी नहीं हटा सके। डीसीपी अभिषेक आनंद ने न सिर्फ थाने से छुट्टी की बल्कि हाथोंहाथ रवानगी भी करवा दी। कनाड़िया से हटा पुलिसकर्मी तो ड्यूटी से लेकर जांच आवेदन भी खुद बांटता था। थाना प्रभारी की चाकरी के साथ-साथ घर से आने वाले प्रत्येक निर्देशों का पालन करता था। शराब के अड्डे पर हुई कार्रवाई के बाद निशाने पर आया और डीसीपी ने हटा दिया। खजराना से हटे पुलिसकर्मियों की स्थिति ऐसी ही थी। हालांकि बाणगंगा, विजयनगर, लसूड़िया में अभी भी दर्जनों पुलिसकर्मी ऐसे हैं जो सिपाही से भर्ती हुए और अफसर बन गए।

 

होटल और फ्लैट में बनी निजी ‘हवालात’

हथकड़ी लगा कोई व्यक्ति होटल में नजर आए तो हैरान मत होना। वह मुलजिम ही है। साथ में पुलिसवाले भी हैं। मुलजिम को पूछताछ के लिए रखा गया है। ऐसा सभी थानों में तो नहीं हो रहा लेकिन कुछेक थानों में होटल-फ्लैट में ही पूछताछ होती है। ऐसा सीसीटीवी कैमरों से बचने के लिए किया जाता है। मुलजिम आसानी से नहीं टूटते हैं। दो-चार दिन हिरासत में रखना ही पड़ता है। जबसे मुख्यालय ने सीसीटीवी कैमरे लगाए हिरासत में लेने की परंपरा खत्म सी हो गई। थाने आते ही मुलजिम की रिपोर्ट डालनी पड़ती है। पुलिसवालों ने इसका तोड़ निकाला और होटल व फ्लैट में पूछताछ करने लगे। सबकुछ स्पष्ट होने के बाद मुलजिम को थाने लाया जाता है। तत्काल गिरफ्तारी लेकर कोर्ट में पेश कर देते हैं। सीरियल चोरी और रसूखदार के घर हुई वारदात के मुलजिमों को होटल में रखा गया था।

 

गांजाकांड में फंस गई नारकोटिक्स की टीम

तस्करों को पकड़ने गई नारकोटिक्स की टीम खुद ही जांच में फंस गई है। उन पर मुलजिमों को छोड़ने के आरोप लग रहे हैं। डीआइजी ने बाकायदा जांच बैठा दी है। टीम ने 29 फरवरी को घाटाबिल्लौद से तस्करों को पकड़ा था। शाहरुख कुरैशी से 20 किलो गांजा की जब्ती दर्शाई और मामला खत्म कर दिया। डीआइजी अमितसिंह को शिकायत मिली कि शाहरुख के साथ दो तस्कर भी थे। पुलिसवालों ने उन्हें पकड़ा लेकिन गिरफ्तारी बगैर छोड़ दिया। एक मुलजिम को रिहाई के एवज में जमीन गिरवी रखना पड़ गई। आरोप झूठे हैं या सच, यह तो जांच के बाद स्पष्ट होगा लेकिन डीआइजी गंभीर हैं। नारकोटिक्स के बड़े अफसर भोपाल ही बैठते हैं। निरीक्षक के अधीन कार्य करने वाले ज्यादातर पुलिसकर्मी अफसरों को अंधेरे में रख कर अक्सर गड़बड़ी कर देते हैं।

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