शहरी सीमा में बहने वाली अजनाल नदी यहां भू-जल स्तर समेत तीज-त्यौहारों पर पूजा की दृष्टि से इसकी खासी महत्वता है। इसको लेकर कई बार मंचो से बड़े-बड़े दावे किए गए। परंतु एक भी दावा कार्ययोजना के रूप में जमीन पर नही उतरा है। फलस्वरूप गंदगी से घिरी अजनाल नदी की सेहत पर निरंतर प्रहार हो रहा है, जो कहीं ना कहीं जनस्वास्थ्य के लिये भी बुरा संकेत है। बावजूद इस दिशा में अब तक कोई ठोस कार्ययोजना पर अमल नही होना नागरिकों की चिंता में तब्दील होने लगा है।
अनोखा तीर, हरदा। शहर के मध्य से गुजरी अजनाल नदी अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही है। करीब डेढ़ दशक में नगनर सरकार ने बड़े-बड़े दावे किए। परंतु अब तक वे सब खोखले साबित हुए हैं। क्योंकि, अजनाल की दशा सुधारने की दिशा में काई ठोस पहल नही हुई है। परिणामस्वरूप अजनाल की सेहत पर गंदगी का प्रहार जारी है, जो उसे प्रदूषित करने के साथ साथ शहरवासियों की सेहत के लिये दुखदायी है। नागरिकों के मुताबिक अजनाल का ये हाल है कि उसके नजदीक से गुजरना मुश्किल साबित होने लगा है। घाट पर पसरी गंदगी के अलावा दूर-दूर तक दुर्गंध फैल रही है। इसके अलावा घाट पर स्थित शंकर मंदिर में लोग दशाकर्म की पूजा करने आते हैं। वहीं पिंड समेत अन्य पूजन सामग्री को नदी में प्रवाहित करना होता है। ऐसे समय पर संबंधितों का दो पल हतप्रत रहना लाजमी है। बावजूद लोग बहते पानी का हवाला देकर मन में उपज रहे सवालों को विराम दे देते हैं। घाट पर गंदगी की बात करें तो शंकर मंदिर से लेकर करबला घाट तथा करबला घाट से कुलहरदा स्थित रेलवे ब्रिज तक सहायक नदी टिमरन की भी हालत खराब है। यहां घाट पूरी तरह गंदगी की चपेट में हैं।
ड्रेनेज से पानी अस्वच्छ
यहां बताना होगा कि शहरी सीमा से बहकर गुजरी अजनाल और टिमरनी नदी में गिरने वाले ड्रेनेज से पापी पूरी तरह अस्वच्छ हो जाता है। कई दफा पानी से साबुन का झाक उठता है, जो नदी की सेहत पर बुरा प्रभाव डालता है। बावजूद यह सिलसिला सालों से जारी है। जिसको लेकर कोई कार्ययोजना जमीन पर नही उतरी है।
मुख्यालय पर खुले में शौच
गुप्तेश्वर मंदिर पुल से थोड़ा आगे पानी की ठोकर या यूं कहें कि रपटे के आसपास लोग अब भी खुले में शौच बैठते हैं। जिसके चलते रपटे के पास गंदगी का वातावरण है। इसके अलावा यहां शराबियों का गम्मत अलग लगती है। वार्डवासियों के मुताबिक लोग मनचाही जगह पर बैठकर शराब पीते हैं। जगह-जगह खाली पाऊच और बॉटल पड़ी हैं।
यह जरूरी ….
– पेढ़ीघाट पर कपड़ों की धुलाई बंद की जाएं ।
– नदी के आसपास शौच करने पर जुर्माना लगाएं।
– निगरानी के लिये जगह-जगह कैमरे लगाएं जाएं ।
– घाटों की नियमित सफाई के साथ वृक्षारोपण करें।
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