विधानसभा चुनाव में भाजपा या कांग्रेस के उम्मीदवारों की जीत में नगर अध्यक्ष और शहर अध्यक्ष की खास भूमिका नहीं मानी जाती, किंतु यदि शहरी सीटों पर परिणाम भाजपा 6 और कांग्रेस 0 आए, तो शहर-नगर अध्यक्षों की चर्चा निकल ही आती है। 1993 के बाद इस बार भाजपा ने इंदौर में शहर और ग्रामीण मिलाकर सभी नौ सीटों पर कब्जा जमाया है। 1993 में भाजपा का नगर अध्यक्ष कौन था, यह इतिहास में दर्ज है, मगर यह सब जानते हैं कि 2023 में भाजपा के नगर अध्यक्ष गौरव रणदिवे और कांग्रेस के सुरजीत चड्ढा हैं। 30 बरस बाद जिस तरह के परिणाम भाजपा को मिले हैं, उसमें गौरव रणदिवे के योगदान को दरकिनार नहीं किया जा सकता। भाजपा की लहर में भी प्रदेश के किसी अन्य बड़े शहर में भाजपा को ऐसी जीत नहीं मिली, जैसी रणदिवे की कप्तानी में इंदौर में मिली है। कांग्रेस ने चुनाव से कुछ माह पहले ही सुरजीत को बड़ी उम्मीदों के साथ कप्तानी सौंपी थी, पर वे कुछ खास सुर साध नहीं पाए।
विधानसभा चुनाव के दौरान इंदौर जिले में भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस का सूपड़ा साफ करते हुए सभी नौ सीटें अपने नाम कर लीं। जिले में यह जबरदस्त क्लीन स्वीप 30 वर्षों बाद हुआ है। इस जीत में सबसे बड़ी बात यह है कि छोटे-छोटे मोहल्लों और बस्तियों से भी कांग्रेस साफ हो गई। कांग्रेस को केवल अल्पसंख्यक बहुल वार्डों से ही जीत नसीब हुई। खजराना, आजाद नगर, चंदन नगर, जूना रिसाला जैसे वार्डों से कांग्रेस को बढ़त मिली है। मिलनी ही थी क्योंकि यह ओपन-सीक्रेट है कि अल्पसंख्यक वोट कांग्रेस की झोली में गिरता है। किंतु मोहल्ले-बस्तियों से पार्टी का साफ होना कांग्रेस के स्थानीय नेताओं के साथ ही पार्षदों के लिए भी चिंता का विषय है। भाजपा ने जिस प्रकार बूथ स्तर पर काम किया, वो उसकी जीत का सबसे बड़ा कारण है। नगर निगम चुनाव में पार्टी को जिन वार्डों और बूथों पर हार मिली थी, वहां के लिए पार्टी ने अलग रणनीति बनाकर काम किया था।
भिया मैं तो पहले यही बोल रिया था!
जिस तरह गिरगिट रंग बदलता है, उसी तरह का बदलाव इन दिनों इंदौर सहित आसपास के भाजपा नेताओं में भी देखा जा रहा है। यहां हम भाजपा नेताओं के गिरगिट की तरह तेवर, व्यवहार या रंग बदलने की बात नहीं कर रहे, बल्कि यहां बदलाव से मतलब बयान बदलने से है। मतदान से पहले और मतदान होने के बाद भी जो नेता भाजपा और कांग्रेस में कांटे की टक्कर बता रहे थे, वो अब बोल रहे हैं कि हमने तो पहले ही कहा था कि कोई सत्ता विरोधी लहर नहीं है। इसी तरह इंदौर के नेताओं के बयान भी अब बदल रहे हैं। पहले जो इंदौरी नेता जिले में 6-3 या 7-2 सीटों के आंकड़े गिना रहे थे, वे अब कह रहे हैं कि हमको तो पहले ही पता था, भाजपा क्लीन स्वीप करेगी। अब जो मौके की नजाकत के साथ रंग न बदलवा दे, वह राजनीति ही कैसी?
राम के नाम पर दिखी इंटरनेट मीडिया की ताकत
इन दिनों इंटरनेट मीडिया को लेकर कई तरह की बातें की जाती हैं। कोई इसे नुकसानदायक बताता है, तो कई लोग इससे लाभ भी ले रहे हैं। इंटरनेट मीडिया के प्रभाव की झलक पिछले दिनों एक बार फिर देखने को मिली। इससे भगवान श्रीराम के प्रति लोगों में किस तरह का उत्साह और श्रद्धा है, इसका भी पता चला। दरअसल, अखिल भारतीय माहेश्वरी महासभा द्वारा अयोध्या में शौर्य भवन का निर्माण किया जा रहा है। इस पावन कार्य के लिए धन संग्रह अभियान इंटरनेट मीडिया के माध्यम से ही चलाया गया। महासभा ने जैसे ही शौर्य भवन बनाने का प्रस्ताव रखा, सबने बिना किसी विरोध या सवाल के अपनी सहमति व्यक्त की। इसके बाद एक सप्ताह के भीतर ही समाजजनों ने 200 करोड़ की राशि के आश्वासन महासभा को दे दिए। इसमें से सौ करोड़ की राशि ट्रस्ट को प्राप्त भी हो गई है। इससे महासभा ने वहां तीन लाख स्क्वेयर फीट जमीन क्रय कर ली और भवन का शिलान्यास भी कर दिया।