प्रशासनिक अधिकारियों ने अपनी आंखों पर कौन सी पट्टी बांध रखी है जिससे उन्हें जिले में हो रहे काले कारोबार दिखाई ही नहीं देते है। जिले में सैकड़ों ईंट-भट्टे लगाए गए, जो अवैध मिट्टी का उत्खनन कर करोड़ों की तादाद में ईंटों का निर्माण कर रहे हंै। अधिकांश ईंट-भट्टे नर्मदा नदी या दूसरी नदियों के किनारे स्थापित किए गए हैं। जबकि बिना एनजीटी की अनुमति के नर्मदा के किनारे ईंट भट्टे लगाना गैर कानूनी है, लेकिन वर्षों से चल रहे इस गोरखधंधे को खुली आंखों से कई बड़े अधिकारी देख रहे हंै, लेकिन इन अवैध ईंट भट्टा संचालकों के खिलाफ आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
अनोखा तीर, हरदा। जिले में अवैध रुप से सैकड़ों ईंट भट्टे चल रहे हैं। लोग अपनी मर्जी से शहर व अंदरूनी ईलाके और जंगलों में ईंट बना रहे हंै। हंडिया के ग्राम मालपोन, गौला, मैदा में तो यह हालत है कि नर्मदा नदी के किनारे बिना किसी अनुमति के दर्जनों की तादाद में ईंट भट्टे संचालित किए जा रहे है। खास बात यह है कि न तो इनके पास खनिज विभाग से कोई अनुमति है और न ही हंडिया तहसील से कोई विधिवत अनुमति इन भट्टा संचालकों ने ली है। क्योंकि नर्मदा नदी के किनारे इस तरह वही की मिट्टी से ईंट भट्टे संचालित करने की अनुमति कोई भी विभाग नहीं दे सकता है। इन ईंट भट्टों के संचालन से जहां नर्मदा नदी तो प्रदूषित हो ही रही है, वहीं अवैध रुप से घाटों के किनारे किए जा रहे अवैध उत्खनन से मैदा, गौला जैसे कई गांवों में बाढ़ का संकट मंडराने लगा है। गांव और नदी के किनारे चल रहा यह अवैध कारोबार इतने बड़े पैमाने पर किया जा रहा है कि हंडिया तहसील में करोड़ों की तादाद में बन रही ईंटे इंदौर तक बिकने के लिए जा रही है। नियम कानून को ताक पर रखकर संचालन कर रहे ऐसे ईंट भट्टो के संचालन पर यदि रोक नहीं लग पाई तो पर्यावरण प्रदूषित होने के साथ ही लोग अनेक प्रकार की बीमारियों से ग्रसित हो सकते है। वहीं दूसरी ओर जिले की दूसरी नदियों के किनारे भी सैकड़ों की तादाद में ईंट-भट्टों का संचालन किया जा रहा है। इसी के साथ ही जंगल क्षेत्र में भी कई लोगों ने ईंट-भट्टे स्थापित किए हैं। लेकिन देखा जाए तो व्यावसायिक रूप से लाखों की तादाद में ईंट बनाने वाले संचालकों के पास कोई भी विधिवत लायसेंस नहीं है।
करोड़ों का ईंट का कारोबार, टेक्स एक रुपए भी नहीं
जिले में लगभग १०० ईंट भट्टे चल रहे है। हंडिया तहसील की ही बात करें तो यहां के ईंट भट्टा कारोबारी एक साल में करोड़ों का कारोबार करते है, लेकिन खनिज एवं राजस्व विभाग को टेक्स के नाम पर एक रुपए भी जमा नहीं करते। शासन को हर वर्ष करोड़ों रुपए की चपत लग रही है। एक भी ईंट भट्टा संचालकों के पास लायसेंस नहीं है। मिली जानकारी के अनुसार एक हजार ईंट बनाने पर खनिज विभाग को ५४ रुपए के हिसाब से टेक्स चुकाना पड़ता है। सबसे अहम बात यह है कि इन ईंट भट्टा संचालकों को एक दिन में कितनी ईंटों का विक्रय किया जाता है इसकी जानकारी तक विभागों को देनी पड़ती है। छोटे ईंट भट्टा संचालकों को तो शासन के तय नियम तक ईंट बनाने पर छूट दी जाती है, लेकिन बड़े पैमाने पर चल रहे इस अवैध कारोबार पर शासन को एक रुपए का भी फायदा मिलता दिखाई नहीं दे रहा है। लेकिन एक बात सामने निकलकर यह आ रही है कि शासन को भले ही कुछ नहीं मिल रहा है, लेकिन जो भी अधिकारी आंख पर पट्टी बांधकर इस कारोबार को अनदेखा कर रहा है उसे लाखों का फायदा जरुर दिखाई दे रहा है।
Views Today: 2
Total Views: 86